नई दिल्ली। केन्द्र सरकार देश के अधिकांश बैंकों की शाखाओं को बंद करने का फैसला जल्द कर सकती है। क्योंकि ज्यादातर बैंक बैंक कर्मचारियों को संक्रमण से बचाने के लिए लॉकडाउन के दौरान अधिकांश शाखाओं को बंद करने की मांग कर रहे हैं। बैंकों को इस सप्ताह शुरू होने वाले 21 दिन के लॉकडाउन से छूट दी गई है।यही नहीं सरकार इंटरबैंकिग सेवाओं को शुरू करने पर  विचार कर रही है।

जानकारी के मुताबिक बैंक अपने कर्मचारियों को संक्रमण से बचाने के लिए लॉकडाउन के दौरान अधिकांश शाखाओं को बंद करने की योजना बना रहे हैं। इसके लिए बैंकों के प्रबंधन को केन्द्र सरकार के आदेश का इंतजार है। बैंकों का कहना है कि कर्मचारियों को कोरोनोवायरस से संक्रमित होने से रोकने के लिए जरूरी कदम उठाए जाने चाहिए। लिहाजा इसके लिए जरूरी है कि बैंकों को बंद किया जाए।  अब तक बैंकों को सरकार ने आवश्यक सेवा के तहत रखा गया है।

इस केन्द्र सरकार की इस योजना के तहत, बड़े शहरों में हर पांच किलोमीटर पर केवल एक बैंक शाखा को खुला जा सकता है। वहीं बैंकों के प्रबंधन कहना का कहना है कि जहां पर लोग डिजिटल पेंमेंट के बारे में नहीं जानते हैं वहीं पर बैंकों को खोला जाना चाहिए। हालांकि अब बैंकों का कार्य और ज्यादा अहम हो गया है क्योंकि केन्द्र सरकार ने आज 1.7 ट्रिलियन रुपये (22.6 अरब डॉलर) के आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज का ऐलान किया है, जिसके तहत गरीबों को सीधे नकद भुगतान भी शामिल होगा।

देश में कोरोनावायरस के 649 मामले सामने आने के बाद बैंकिंग एसोसिएशन ने अपने 255 सदस्य बैंकों को अगले नोटिस तक गैर-जरूरी सेवाओं को निलंबित करने की सलाह दी है। यही नहीं ग्राहकों डिजिटल सेवाओं का उपयोग करने का आग्रह कर रहे हैं। ताकि बैंकों में भीड़ कम लगे। फिलहाल ज्यादातर बैंक सभी बैंकों की डिजिटल बैंकिंग तैयारियों की जांच कर रहे थे। इसके साथ ही केन्द्र सरकार एक बड़ा फैसला कर सकती है। जिसके तहत सरकार बैंक इंटर-ऑपरेटिव सेवाओं की अनुमति दे सकती है। जिसके तहत एक बैंक का ग्राहक किसी अन्य बैंक से लेन-देन कर सकेगा और अपने कार्यों को निपटा सकेगा।