लोकतंत्र में अपनी आस्था जताते हुए नक्सलियों के गढ़ बस्तर में लोग मतदान करने निकले। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर इलाके में दो दिन पहले ही नक्सलियों ने एक भाजपा विधायक और उनके 4 सुरक्षाकर्मियों की हत्या कर दी थी। साथ ही फरमान जारी किया था कि अगर कोई वोट डालने घर से निकला तो अंजाम अच्छा न होगा। लेकिन नक्सलियों की धमकी के बावूजद लोग मतदान करने निकले। यहां तक कि कुछ लोग 10 किलोमीटर पैदल चलकर भी वोट डालने पहुंचे। 

लोकतंत्र को मजबूती देने वाली ये घटना सुकमा जिले की झीरम घाटी इलाके में सामने आई। इस जंगली और पहाड़ी इलाके में है एलंगनार गांव।  आजादी के बाद से आज तक यहां सड़क नहीं पहुंच पाई है। बावजूद इसके यहां के लोगों का लोकतंत्र पर भरोसा नहीं डिगा है। 1000 की आबादी वाले इस गांव को अपनी छोटी से छोटी जरूरत के लिए भी 10 किलोमीटर का सफर पैदल तय करना होता है। आज तक कोई भी जनप्रतिनिधि इस गांव तक नही पंहुचा है। इसके बावजूद ये ग्रामीण बड़ी संख्या में वोट देने के लिए अपने घरों से बाहर निकले। 

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हालांकि ये ग्रामीण अब भी पूरी तरह नक्सली दहशत से उबर नहीं पाए हैं, कुछ ग्रामीण वोटिंग के बाद अपनी उंगली पर लगी स्याही को पत्थर से घिसकर मिटाते दिखे... लेकिन नक्सलियों के मतदान बहिष्कार के फरमान के बावजूद इस इलाके के लोग लोकतंत्र से जुड़ना चाह रहे हैं। 

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यह वही झीरम घाटी है, जहां नक्सलियों ने 25 मई 2013 को एक बड़े हमले में  कांग्रेसी के कई वरिष्ठ नेताओं को मौत के घाट उतार दिया था। इन ग्रामीणों को उम्मीद है कि वोट देने से शायद इनके इलाके में सड़क बन जाए। शिक्षा, स्वास्थ्य और दूसरी मूलभूत सुविधाएं भी इनके गांव तक पहुंच जाएं।

झीरम घाट का ये इलाका कई बड़ी नक्सल वारदातों को झेल चुका है, यही वजह है कि एलंगनार  गांव के पोलिंग बूथ को 20 किलोमीटर दूर टाहकवाड़ा में शिफ्ट किया गया है।  एलंगनार के 357 मतदाताओं में से 200 से अधिक मतदाताओं ने अब तक अपने मताधिकार का प्रयोग किया। एलांगनार गांव से पुरुषों के साथ ही महिलाएं अपने छोटे-छोटे बच्चों को लेकर पैदल तहकवाड़ा पहुंचे, ताकि अपने मताधिकार का प्रयोग कर सके।