नई दिल्ली। दुनिया के सामने भिखारी बन चुका पाकिस्तान अब करतापुर के दर्शन के बहाने भारत के सिख तीर्थ यात्रियों से जर्जिया टैक्स वसूलने पर अड़ गया है। जिसके कारण आज से होने वाला ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन नहीं हो सका। हालांकि भारत सरकार ने इसके लिए आपत्ति जता दी है। लेकिन नापाक पाकिस्तान इसके लिए अड़ा हुआ है। उसका कहना है कि वह हर यात्री से बीस डॉलर टैक्स लेगा। करतारपुर साहिब गुरुद्वारे को पाकिस्तान 9 नवंबर को खोलने की बात कर रहा है।

पाकिस्तान अब भी 20 डॉलर फीस वसूली पर अड़ा हुआ है। यानी हर भारतीय यात्री से पाकिस्तान 1,400 रुपये की फीस वसूलेगा। अगर ये जर्जिया टैक्स लगता है तो पाकिस्तान को हर साल अरबों का फायदा होगा। यही नहीं इसके जरिए वह खालिस्तान मूवमेंट को फिर से जिंदा करना चाहता है। इसके लिए उसने पाकिस्तान में खालिस्तान समर्थकों को तैयार किया है। जो वहां पर भारत से जाने वाले सिख यात्रियों को इसके लिए तैयार करेंगे। यही नहीं पाकिस्तान विदेश से आने वाले सिख यात्रियों के जरिए भी भारतीय सिख यात्रियों को साधने की कोशिश करेंगे। क्योंकि अमेरिका और ब्रिटेन में कई सिख अलगावादी नेता पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के तहत काम करते हैं।

आज से इसका रजिस्ट्रेशन होना था। लेकिन पाकिस्तान की जिद के कारण ये शुरू न हो सका है। भारत ने इसके लिए पाकिस्तान से आपत्ति जताई है। लेकिन पाकिस्तान इसके बावजूद अड़ा हुआ है।  गौरतलब है कि पिछले दिनों पाकिस्तान ने 9 नवंबर को पूर्व पीएम मनमोहन सिंह को उसके उद्घाटन के लिए आमंत्रित किया था। जिसके बाद मनमोहन सिंह पाकिस्तान को झटका देते हुए इस आमंत्रण को अस्वीकार कर दिया था। उन्होंने साफ कहा था कि वह करतारपुर में चीफ गेस्ट बनकर नहीं जाएंगे बल्कि एक आम तीर्थ यात्री के तौर पर वहां जाएंगे। भारत सरकार ने करतापुर साहिब के दर्शन के लिए हर दिन 10,000 यात्रियों की अनुमति मांगी है और इसके सााथ ही हर दिन भारतीय प्रॉटोकॉल ऑफिसर के भी दौरे की अनुमति मांगी है।

जिसको लेकर पाकिस्तान ने कोई फैसला नहीं किया है। गौरतलब है कि करतारपुर के दरबार साहिब का कॉरिडोर पंजाब के गुरदासपुर जिले के डेरा बाबा नानक धर्मस्थल से जोड़ेगा इसके लिए तीर्थ यात्रियों को महज एक परमिट लेना होगा। इसके लिए वीजा की जरूरत नहीं होगी। पहले सिख गुरु नानक देवजी ने 1522 में करतारपुर साहिब की स्थापना की थी। लेकिन बंटवारे के बाद ये पाकिस्तान के हिस्से में चला गया था। यहां जाने के लिए सिख यात्रियों को अभी तक वीजा लेकर जाना पड़ता है। जबकि ये भारतीय सीमा से महज पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।