बंगाल के राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की है। राज्य में राजनीतिक हिंसा की घटनाओं को लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से राज्य सरकार को परामर्श जारी किए जाने के बीच यह मुलाकात हुई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, त्रिपाठी ने गृह मंत्री को राज्य में राजनीतिक हिंसा और मौजूदा हालात पर एक लंबी रिपोर्ट सौंपी हैं। हालांकि, गृह मंत्री से मुलाकात के बाद त्रिपाठी ने इससे महज शिष्टाचार भेंट बताया।

त्रिपाठी ने गृहमंत्री शाह से मुलाकात के बाद कहा, ‘मैंने प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को पश्चिम बंगाल की स्थिति से अवगत किया। मैं विस्तृत जानकारी नहीं दे सकता।’ पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लागू किए जाने की संभावनाओं के बारे में पूछे जाने पर त्रिपाठी ने कहा कि बैठक के दौरान ऐसी कोई बातचीत नहीं हुई।

भले ही त्रिपाठी इस मुलाकात को शिष्टाचार भेंट बता रहे हों, लेकिन पिछले कुछ दिन के घटनाक्रम को देखते हुए इससे राज्य में राष्ट्रपति शासन को लेकर अटकलों का बाजार गर्म हो गया है। वहीं राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भाजपा पर बंगाल में हिंसा फैलाने और उनकी सरकार को गिराने की साजिश रचने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि वह केंद्र को अपनी सरकार को गिराने नहीं देंगी। 

पश्चिम बंगाल में कानून और व्यवस्था की 'बिगड़ती स्थिति' को लेकर एडवाइजरी जारी करने के एक दिन बाद गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को आंतरिक सुरक्षा के मसले पर एक उच्चस्तरीय बैठक की। इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल भी मौजूद थे। बताया जा रहा है कि बैठक में बंगाल में जारी राजनीतिक हिंसा पर भी चर्चा हुई है। इस बैठक के बाद ही बंगाल के गवर्नर केशरीनाथ त्रिपाठी ने अमित शाह से मुलाकात की। 

उधर, भाजपा के बंगाल प्रभारी और पार्टी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कहा है कि बंगाल में जिस तरह हिंसा फैल रही है, वहां राष्ट्रपति शासन भी लग सकता है। कार्यकर्ताओं की हत्या के विरोध में भाजपा ने 12 घंटे का बंद बुलाया है। पूरे बंगाल में यह दिन काला दिवस के तौर पर मनाया जा रहा है। विजयवर्गीय ने कहा, ‘बंगाल में हिंसा की जिम्मेदारी ममता बनर्जी की है। वे बदले की भावना से लोगों को भड़का रही हैं। ममता अपने कार्यकर्ताओं से कह रही हैं कि जहां से उनकी पार्टी हार रही है, वहां भाजपा कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया जाए। सारे गुंडे सत्ताधारी तृणमूल के पास ही हैं, उनके पास पिस्तौल और बम हैं। हमारे कार्यकर्ताओं के पास कोई हथियार नहीं है। बंगाल में ऐसे ही हिंसा होती रही तो केंद्र को हस्तक्षेप करना पड़ेगा। जरूरी हुआ तो बंगाल में राष्ट्रपति शासन लागू हो सकता है।'