राज्य की सत्ता में पन्द्रह साल के बाद वापसी करने वाली कांग्रेस के लिए भूपेश बघेल किसी संजीवनी से कम नहीं है। बघेल की खास बात ये है कि वो दो राज्यों में मंत्री रहे और अब छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं। पार्टी ने इस पद के लिए उन्हें सबसे उपयुक्त माना और राज्य की कमान सौंपी। बघेल का राज्य के कुर्मी समुदाय में काफी पकड़ माना जाती है।

राज्य में कांग्रेस ने लगातार तीन बार हार का सामना किया और उसके बाद वह राज्य की सत्ता में लौट रही है। हालांकि कांग्रेस के लिए भूपेश बघेल के नाम पर सहमति बनाना आसान नहीं था क्योंकि मुख्यमंत्री के चार चार दावेदार थे और कोई भी किसी से कम नहीं था। हर कोई राज्य की राजनीति पर अपना असर रखता है। राज्य की राजनीति में कद्दावर नेता बन चुके भूपेश बघेल का जन्म 23 अगस्त 1961 को दुर्ग जिले के पाटन तहसील में हुआ था। किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले बघेल का कुर्मी समाज में अच्छा जनाधार माना जाता है। उन्होंने पिछले पन्द्रह साल से राज्य की सत्ता पर काबिज रमन सरकार के खिलाफ किसान और खेती को बड़ा मुद्दा बनाया था।

तेज तर्रार राजनीतिज्ञ और बेबाक अंदाज के लिए बघेल पूरे छत्तीसगढ़ में जाने जाते हैं। शुरूआत से राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले बघेल ने 1985 में यूथ कांग्रेस के जरिए राजनीति में इंट्री ली और 1993 में जब मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव हुए तो पहली बार पाटन विधानसभा से विधायक चुने गए। जब अविभाजित मध्य प्रदेश में दिग्विजय सिंह की सरकार बनी,  उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया। उसके बाद 1994-95 में मध्य प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष चुने गए और इसके बाद फिर 1999 में मध्य प्रदेश सरकार में परिवहन मंत्री बने। इसके बाद उन्हें मध्य प्रदेश हाउसिंग बोर्ड के डायरेक्टर के पद पर नियुक्त किया गया।

जब साल 2000 में छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश से अलग होकर नया राज्य बना और कांग्रेस की सरकार बनी, तब जोगी सरकार में वे कैबिनेट मंत्री रहे और उसके बाद 2003 में जब कांग्रेस सत्ता से बाहर हुई तो भूपेश को विपक्ष का उपनेता बनाया गया। हालांकि जब 2008 के विधानसभा चुनाव हुआ तो उन्हें हार का सामना करना पड़ा। लेकिन फिर 2013 में वह पाटन से चुनाव जीते और 2014 में उन्हें छत्तीसगढ़ कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया।

असल में जब तेज़तर्रार भूपेश बघेल को दिसंबर, 2014 में कांग्रेस आलाकमान ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया। तब कांग्रेस कार्यकर्ता राज्य भाजपा की तरफ जा रहा था क्योंकि विपक्ष नाम की महज खानापूर्ति के लिए था। लेकिन भूपेश बघेल ने सरकार के खिलाफ लगातार मोर्चा खोलकर कार्यकर्ताओं को रिचार्ज करने का काम किया। इसके बाद किसानों की समस्याओं और फिर राशन कार्ड में कटौती का मुद्दा उठाकर जनता में सीधे पहुंच बनाई।