उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार के दौरान शुरू किए गए यश भारती पुरस्कार में जमकर खेल हुए। पुरस्कारों को रेवड़ियों की तरह बांटा गया। जो पात्र थे उन्हें मिला नहीं बल्कि पुरस्कार उन लोगों को दिए गए जिन्हें इसकी जरूरत ही नहीं थी।

सपा सरकार में 1993 से लेकर 2016 तक 250 लोगों को यशभारती पुरस्कार और पेंशन वितरित की गयी। लेकिन योगी सरकार ने पड़ताल के बाद महज 2 दो लोगों को पुरस्कार और पेंशन के लिए योग्य पाया है। हालांकि योगी सरकार ने पहले दी जा रही 50 हजार रुपये की पेंशन को घटाकर अब 25 हजार रुपये कर दिया है।

असल में उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के बाद यश भारती पुरस्कारों और उसके लिए दी जाने वाली पेंशन को बंद कर दिया था। समाजवादी पार्टी ने सरकार पर आरोप लगाया कि राज्य सरकार पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर इन पुरस्कारों को बंद कर रही है।

हालांकि योगी सरकार ने इन पुरस्कारों के लिए नई नियमावली बनाने की बात कही थी। जिसके तहत पुरस्कार पाने वाले की आय, उसका यूपी का मूल निवासी होना या फिर प्रदेश में निवास करना समेत कई तरह के नियम बनाए। जिसको पालन करने वालों को पुरस्कार देने का फैसला किया था।

जिसके तहत अब महज दो व्यक्ति ही नियमों के तहत योग्य माने गए। जबकि समाजवादी पार्टी ने अपने शासन काल मे कई लोगों को पुरस्कारों से सम्मानित किया। इस पुरस्कार के तहत सम्मान के साथ ही हर महीने में पुरस्कृत व्यक्ति को 50 हजार रुपये की पेंशन दी जाती है। लेकिन अब नए नियमों के तहत सिर्फ दो व्यक्तियों को छोड़कर किसी को भी पेंशन नहीं दी जाएगी।

योगी सरकार ने जो मानक बनाए थे उसके तहत आयकर रिटर्न भरने वालों, सरकारी नौकरी में कार्यरत व अन्य स्रोतों से आय अर्जित करने वालों के पैन और आयकर रिटर्न के परीक्षण किए गए। इसमें सिर्फ दो लोग गायक गुलशन भारती और पर्वतारोही यस्थवी अस्थाना को ही पात्र माना गया है।

फिलहाल योगी सरकार पेंशन की रकम को भी कम कर दिया है। पहले जहां 50 हजार रुपये की पेंशन दी जाती थी वहीं अब इसके लिए पुरस्कृत व्यक्तियों को 25 हजार रुपये की पेंशन दी जाएगी।