आगामी लोकसभा चुनाव के लिए बिहार में एनडीए के बीच सीटों का बंटवारा हो गया है। भाजपा, जनता दल(यूनाइटेड) और लोक जनशक्ति पार्टी राज्य में मिलकर चुनाव लड़ेंगे। राज्य में भाजपा और जद(यू) 17-17 सीटों पर, तो लोजपा 6 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। लेकिन इस गठबंधन में असल मुश्किल अब भाजपा की है। क्योंकि भाजपा पर राम मंदिर को लेकर जबरदस्त दबाव है। लेकिन बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार का कहना है कि राम मंदिर का निर्माण कोर्ट या दोनों पक्षों की सहमति से होना चाहिए।

राम मंदिर के मुद्दे पर भाजपा पर जबरदस्त दबाव है। केन्द्र में भाजपा की सहयोगी शिवसेना भाजपा पर अरसे से दबाव बनाए हुए है। लेकिन अब भाजपा की असल परीक्षा आगामी लोकसभा चुनाव है। जहां ज्यादातर उसके सहयोगी राममंदिर का मुद्दा भाजपा का मुद्दा मानते हैं और एनडीए का मुद्दा मानने से इंकार करते हैं। आज बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ने खुलेतौर पर कहा कि हम लोगों का मत राम मंदिर के मामले में साफ है। हमारा मानना है कि राम मंदिर का निर्माण कोर्ट में या फिर दोनों पक्षों की सहमति से होना चाहिए।

कुमार ने कहा कि जब भी हम लोग एनडीए के सहयोगी रहे, विकास ही हमारा मुद्दा था। गठबंधन में हर पार्टी का अपना मुद्दा होता है और हमारा मुद्दा विकास है। कुमार की तरह ही रामविलास पासवान की भी मंदिर मुद्दे पर यही राय रही है। क्योंकि दोनों पार्टियों का बिहार में वोटबैंक है और मुस्लिम भी इन दोनों दलों के समर्थक हैं। हालांकि इन दोनों की दलों की तुलना में राज्य में मुस्लिम राष्ट्रीय जनता दल के पक्ष में वोट करती है। सन् 2009 में बिहार में बीजेपी और जेडीयू का गठबंधन था और राज्य में 40 में से 32 सीटें गठबंधन ने जीती थी।

कुमार के इस बयान के बाद भाजपा को आगामी लोकसभा चुनाव में राम मंदिर के मुद्दे को लेकर जाना मुश्किल होगा। क्योंकि तीन राज्यों में हार का बड़ा कारण राम मंदिर का निर्माण न होना और ऊच्च वर्ग द्वारा भाजपा को वोट न देना है। भाजपा पर संघ के साथ ही विश्व हिंदू परिषद का भी दबाव है। विहिप संसद में अध्यादेश लाकर राम मंदिर के निर्माण के पक्ष में है और संघ भी भाजपा को चेता चुका है कि अगर उसकी सरकार रहते राम मंदिर का निर्माण नहीं हुआ तो इसका खामियाजा आगामी लोकसभा चुनाव में उठाना पड़ेगा।

हाल में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी अपनी मंदिर राजनीति के जरिए हिंदू को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे में भाजपा को डर है कहीं हिंदू वोटर कांग्रेस की तरफ न चला जाए। लेकिन सच्चाई ये भी है कि राम मंदिर के मुद्दे को लेकर भाजपा का आगामी लोकसभा चुनाव में जाना आसान नहीं होगा। अगर भाजपा इस मुद्दे को उठाती है तो उसे सहयोगी दलों की नाराजगी झेलनी पड़ेगी और अगर वह इस मुद्दे को नहीं उठाती है तो उसका वोटर उससे नाराज हो जाएगा।