लोकसभा चुनाव में केन्द्र और राज्य की सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी का समूचे विपक्ष के साथ अपने सहयोगी दलों से भी मुकाबला चल रहा है। उत्तर प्रदेश में बीजेपी की योगी आदित्यनाथ सरकार अपने ही मंत्री नाराजगी झेल रही है और इसका असर लोकसभा चुनाव में भी पड़ सकता है। असल में राज्य में बीजेपी की सहयोगी भारतीय सुहेलदेव समाज पार्टी के अध्यक्ष ओपी राजभर लोकसभा चुनावों में अपने कोटे की सीटें न मिलने के कारण नाराज चल रहे हैं और उन्होंने शनिवार रात को तीन बजे जाकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इस्तीफा देने की पेशकश की। हालांकि अभी तक उनका इस्तीफा मंजूर नहीं हुआ है।

सुभासपा के अध्यक्ष ओपी राजभर अकसर अपने बयानों से सरकार को कठघरे में खड़ा करते रहते हैं। उनकी बीजेपी हाईकमान से कई बार उनकी शिकायतों के लिए बातचीत हो चुकी है और उन्हें सुलझाया भी गया है। लेकिन राजभर हैं कि हर महीने योगी सरकार के रवैये से नाराज हो जाते हैं। वह कई बार सरकार से इस्तीफा देने की बात कह चुके हैं और हर बार बीजेपी उन्हें मना लेती है। अभी तक बीजेपी ने उन्हें लोकसभा चुनाव के लिए एक भी सीट नहीं दी है जबकि राज्य में 70 सीटों पर प्रत्याशियों के नाम तय हो गए हैं।

जबकि हाल ही में राजग गठबंधन में शामिल हुई निषाद पार्टी को भी दो सीटें दिए जाने की उम्मीद की जा रही है। जबकि सुभासपा के लिए बीजेपी ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं। हालांकि सूत्रों के मुताबिक बीजेपी ने राजभर को घोसी सीट से चुनाव लड़ने का आफर दिया है। लेकिन पार्टी की ये शर्त थी वह बीजेपी के सिंबल पर चुनाव लड़ें। लेकिन राजभर ने बीजेपी की इस मांग को ठुकरा दिया है। लिहाजा बीजेपी के रवैये से नाराज राजभर ने शनिवार को देर रात एक बार फिर राजनैतिक पेशबंदी के लिए इस्तीफे की पेशकश की।

राजभर रविवार की तड़के तीन बजे वह सीएम आवास पर इस्तीफा देने पहुंचे। लेकिन उनकी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात नहीं हो सकी।  हालांकि बाद में सीएम योगी आदित्यनाथ और यूपी के प्रभारी जेपी नड्डा ने उन्हें समझाने का प्रयास किया था। सूत्रों के मुताबिक राजभर आज पूर्वांचल की 32 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला करेंगे।