केन्द्र की सत्ताधारी पार्टी भारतीय जनता पार्टी में क्या नेताओं की कमी हो गयी है। ये सवाल राजनैतिक गलियारों में तेजी से दौड़ रहा है क्योंकि बीजेपी ने संघ से करीब दो दर्जन तेजतर्रार प्रचारकों को पार्टी में काम के लिए मांगा है। असल में बीजेपी अपने दक्षिण भारत मिशन पर है, लिहाजा वह संघ से ऐसे प्रचारकों को चाहती हैं जो दक्षिण राज्य खासतौर केरल और तमिलनाडू में कमल खिला सके।

आमतौर पर बीजेपी में नेता संघ से ही आते हैं। अभी तक जितने भी नेता पार्टी में उच्च पदों पर हैं। वह संघ के प्रशिक्षित नेता ही हैं। संघ नेताओं को तराशता है और फिर उन्हें बीजेपी में पूर्णकालिक राजनीति के लिए भेज दिया जाता है। बीजेपी भारतीय राजनीति में अपने उच्च प्रदर्शन पर पहुंच गयी है।

लेकिन अभी तक पार्टी दक्षिणी राज्यों में अपनी पैठ नहीं बना पायी है। जिस बंगाल और त्रिपुरा के बारे में कहा जाता था कि वहां पर लाल झंडे के अलावा किसी की सत्ता नहीं आ सकती है। वहां पर बीजेपी मजबूत स्थिति में है। त्रिपुरा में तो बीजेपी की सरकार है। इस सरकार को बनाने में संघ के प्रचारक सुनील देवधर की बड़ी भूमिका रही।

महाराष्ट्र के रहने वाले देवधर ने त्रिपुरा की स्थानीय भाषा भी सीखी और वहां पर सत्ता बनाई है। फिलहाल पार्टी ने देवधर को आंध्र प्रदेश औऱ बंगाल का जिम्मा सौंपा है। इसके साथ ही जम्मू कश्मीर में बीजेपी की सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले राम माधव।

राम माधव भी संघ से ही आते हैं और जम्मू कश्मीर के साथ ही पूर्वोत्तर में पार्टी को मजबूत करने में लगे हैं। सुनील देवधर तो आंध्र प्रदेश में पार्टी को मजबूत करने के लिए आपरेशन लोटस चला रहे हैं। जिसका नतीजा ये रहा कि टीडीपी के चार राज्यसभा सांसद बीजेपी में शामिल हो गए।

लिहाजा अब बीजेपी देवधर और राम माधव जैसे सरीखे प्रचारकों को बीजेपी में लाना चाहती है। बीजेपी दक्षिण राज्यों में तेलंगाना, केरल तमिलनाडू और आंध्र प्रदेश में कमजोर है। इसके साथ ही कुछ पूर्वोत्तर के राज्य भी हैं जहां पर पार्टी को मजबूत होना है। लिहाजा ये प्रचारक बीजेपी को वहां पर स्थापित करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं।