Board Exam Stress: मार्च-अप्रैल के महीने में ज्यादातर बच्चों की परीक्षाएं है। जिसे लेकर तनाव होना आम होता है। कॉलेज में एडमिशन से लेकर अच्छे मार्क्स के लिए बच्चे जी तोड़ मेहनत करते हैं लेकिन ज्यादातर बच्चे इस दौरान तनाव का शिकार हो जाते हैं और उनके दिमाग में कई सवाल उठने लगते हैं कि अगर पेपर अच्छा ना हुआ तो, नंबरक कम आए तो,अगर फेल हो गया तो। घरवाले क्या सोचेंगे,स्कूल दोबारा जाना पड़ेंगा,मनपसंद कॉलेज में क्वालीफाई कर पाएंगे या नहीं। ऐसी बहुत से सवाल स्टूडेंट्स के मन में चलते हैं। कुछ बच्चे इससे आसानी से डील कर लेते हैं तो कुछ मुश्किल से लेकिन कुछ बच्चे ऐसे भी होते हैं जो तनाव के भंवर में फंसकर पढ़ाई पर फोकस नहीं कर पाते और उन्हें डॉक्टर या दवाई का सहारा लेना पड़ता है। उत्तर प्रदेश से ऐसा ही मामला सामने आया है जहां एक्जाम के स्ट्रेस में रातभर जागकर पढ़ाई करने के लिए एक छात्रा नींदरोधी गोलियों का सेवन करती थे लेकिन इसके बाद उसे अस्पताल में भर्ती होना पड़ा।

दिमाग में जमा खूना का थक्का

जानकारी के अनुसार,यूपी की प्राजक्ता स्वरूप दसवीं की छात्रा है। उसे पिछले हफ्ते बड़ी सर्जरी से गुजरना पड़ा। उसके माता-पिता ने बताया कि वह रात भर जाकर बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी करती थी। उसकी मां रात में जागने में उसकी मदद के  उसे गरमा गरम कॉफी दिया करती थी एक दिन प्राजक्ता अचानक बेहोश हो गई इसके बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया जब परिवार वालों ने उसके कमरे की तलाशी ली तो उसके जोर से एक गोलियों की डब्बी मिली जिसे उन्होंने डॉक्टर को दिया डॉक्टर ने जांच के बाद बताया कि उनकी बेटी नींद रोधी गोलियां ले रही थी। जिससे उसके दिमाग में खून का थक्का जम गया था।

जगने के लिए आतंकवादी करते हैं इन गोलियों का इस्तेमाल

इस क्षेत्र के विशेषज्ञ डॉक्टर आरके सक्सेना ने बताया कि मोडाफिनिल शक्तिशाली नींद रोधी गोलियां है जो इंसान को 40 घंटे लगातार जागे रखने में मदद करती है उन्होंने बताया कि यह गोलियां सबसे पहले 26 11 मुंबई हमले में शामिल आतंकवादियों के पास मिली थी हालांकि यह गोलियां बाजार में कानूनी रूप से उपलब्ध नहीं है फिर भी इनकी तस्करी की जाती है जिससे जागते रहने के लिए दवाइयां का सहारा ढूंढ रहे व्यक्तियों को यह आसानी से मिल जाती है।

 परीक्षा की तैयारी के लिए बड़ी मात्रा में बच्चे कर रहे सेवन

नींद रोधी गोलियों का आजकल बड़ी संख्या में बच्चे सेवन कर रहे हैं ताकि वह परीक्षा की तैयारी कर सके यह एक बेहद खतरनाक चलन है जो बच्चों में पैदा हो रहा है। इन दवाओं का खतरनाक दुष्प्रभाव हो सकता है जिससे बच्चों का जीवन भी प्रभावित हो सकता है। रिपोर्ट्स की मानें तो इन दवाइयों को कैफीन की अधिक मात्रा के साथ लिया जाए तो यह काफी नुकसानदेह हो सकता है जैसा कि प्राजक्ता के मामले में हुआ।

बच्चों में दिखे तनाव के लक्षण तो हो जाएं सावधान

जैसे-जैसे परीक्षा नजदीक आ रही है ऐसे में अगर आपके बच्चे के व्यवहार में कुछ बदलाव नजर आ रही है तो आप भी सावधान हो जाएं। जैसे वह अचानक से चुप हो जाए लोगों से मिलना जुलना बंद कर दें, खाना पीना न, खाए दोस्तों से भी मिलना अवॉइड करने लगे, तो समझ जाए कि कुछ गड़बड़ है और ज्यादा से ज्यादा पढ़ने की डेक्स पर बैठा रहे, उसके चेहरे पर स्ट्रेस लगे, उसे घबराहट होने लगे तो उससे पूछे और ज्यादा से ज्यादा बातचीत करें। उसका सहयोग करके उसे सहज महसूस कराएं। थोड़ा सा पॉजिटिव प्रेशर बच्चों के लिए तनाव को कम कर सकता है। जो उसे पढ़ाई में भी मदद करेगा ‌

 परीक्षाओं के दौरान बच्चों का रखें ज्यादा ख्याल

बच्चों की परीक्षाओं के दौरान माता-पिता का चिंतित होना स्वाभाविक है हालांकि आपको अपने बच्चों का ख्याल रखना चाहिए और उसपर नजर रखनी चाहिए कि कहीं वह ज्यादा टेंशन तो नहीं ले रहा है।  ऐसे में आप ही सुनिश्चित कर सकते हैं कि बच्चा अच्छी नींद ले रहा है या नहीं वे खाना खा रहा है या नहीं इसके अलावा बच्चों को डांटने के बजाय उससे बात करने का प्रयास करें। परीक्षा की तैयारी के लिए प्रोत्साहित करें। अगर गलती हो गई है तो गलतियों को लेकर ना बैठे और गलती छोड़कर आने वाले एग्जाम की तैयारी करने पर ध्यान देने के लिए कहें।

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