जयपुर। राजस्थान में होने वाले निकाय चुनाव राज्य के दोनों मुख्य राजनैतिक दल भाजपा और कांग्रेस की असल परीक्षा होंगे। इसके जरिए दोनों दल लोकसभा चुनाव के बाद अपनी ताकत को दिखाएंगे। हालांकि निकायों के प्रमुखों के पदों पर कब्जे के लिए गहलोत सरकार ने पहले ही दांव खेल दिया है। 

निकाय चुनाव के लिए राज्य के दोनों प्रमुख दल कांग्रेस और भाजपा तैयारी में जुट गए हैं। हालांकि दोनों दल अपने अपने बूते चुनाव लड़ने की बात कर रहे हैं। क्योंकि राज्य में कांग्रेस ने बीएसपी को पहली ही झटका दे दिया है। जिसके बाद उसका बसपा के साथ चुनावी गठबंधन नहीं होने की उम्मीद है। वहीं भाजपा ने सहयोगी आरएलपी के साथ भागीदारी की संभावना को खारिज किया है। राज्य में 16 नवंबर को बीकानेर, उदयपुर और भरतपुर नगर निगम के साथ-साथ ही 49 नगरपालिकाओं के लिए मतदान होगा।

इसके लिए 19 नवंबर को मतगणना होगी। फिलहाल राज्य में हुए दो सीटों पर उपचुनाव में एक सीट पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की है। जिसको लेकर कांग्रेस उत्साहित है। राज्य में हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने जहां मंडावा सीट भाजपा से छीन ली थी वहीं खींवसर सीट हालांकि कांग्रेस का प्रत्याशी हारा लेकिन उसके हार का अंतर काफी कम था। कांग्रेस का दावा है कि फिलहाल देश ही नहीं राज्य में माहौल कांग्रेस के पक्ष में है और नगरपालिकाओं के चुनाव संगठन पूरी ताकत से लड़ेगा। वहीं भाजपा का कहना है कि गहलोत सरकार ने डर के कारण प्रमुख के पदों पर सीधे चुनाव नहीं कराए।

असल में दो राज्यो में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को उम्मीद के मुताबिक परिणाम नहीं मिले। जिसको राज्य में कांग्रेस बड़ा मुद्दा बना रही है। कांग्रेस का कहना है कि जनता भाजपा को नकार रही है। लिहाजा दोनों राज्यों में उसे जनादेश नहीं मिला। वहीं राज्य में भापजा की सहयोगी आरएलपी ने अभी निकाय चुनाव को लेकर अपने पत्ते नहीं खोले हैं। पार्टी के संयोजक और सांसद हनुमान बेनीवाल ने कहा कि इसके लिए भाजपा के साथ बातचीत चल रही है और जल्द ही इस पर फैसला हो जाएगा।