जासूसी के आरोप में पकड़े गए आरोपी का नाम निशांत अग्रवाल बताया जा रहा है और वह नागपुर में डीआरडीओ की ब्रह्मोस यूनिट में काम कर रहा था। वह साल 2017 में अपनी यूनिट से युवा वैज्ञानिक का पुरस्कार भी हासिल कर चुका है।  

निशांत अग्रवाल पर आरोप लगा है, कि उसने ब्रह्मोस मिसाइल यूनिट की बहुत महत्वपूर्ण तकनीकी जानकारियां पाकिस्तान पहुंचा दी। 

बताया जा रहा है कि निशांत सीआईए की किसी महिला एजेन्ट के जाल में फंसा हुआ था। वह डीआरडीओ के ब्रह्मोस एरोस्पेस में पिछले चार सालों से काम कर रहा था। वह सीनियर सिस्टम इंजीनियर के पद पर है और वह हाइड्रोलिक-न्यूमेटिक्स और वारहेड इंटीग्रेशन प्रोडक्शन विभाग के 40 लोगों की टीम का प्रमुख के तौर पर काम कर रहा था। 

निशांत ब्रह्मोस की रिसर्च एंड डेवलपमेन्ट ग्रुप का भी सदस्य है। उसके उपर ब्रह्मोस की पिलानी और नागपुर साइट के प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी है। 

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक आरोपी निशांत दिल्ली में तैनात सीआईए की खुफिया एजेन्ट और पाकिस्तान के जासूसी रैकेट के लगातार संपर्क में था। 

सिस्टम इंजीनियर होने के नाते उसे ब्रह्मोस के हर फीचर की जानकारी थी। वह पैसों के एवज में यह जानकारियां विदेश तक पहुंचा रहा था। 

वह सोशल मीडिया में कोडवर्ड और गेम्स के चैट जोन के जरिए जानकारियां भेज रहा था। आरोपी निशांत को यूपी एटीएस और मिलिट्री इंटेलिजेन्स के अधिकारियों ने संयुक्त कार्रवाई में पकड़ा। खुफिया अधिकारियों की टीम रविवार की रात से ही उसपर नजर रखे हुए थी। जिसके बाद सोमवार को उसे गिरफ्तार किया गया। 

ब्रह्मोस भारत की एक बेहद एडवांस मिसाइल है। जो कि ध्वनि से भी तेज रफ्तार से उड़ती है और कम ऊंचाई पर उड़ान भरने के कारण रडार से पकड़ में भी नहीं आती। 

ब्रह्मोस की इन्हीं खूबियों के कारण दुश्मन देश इसकी तकनीकी जानकारी के बारे में जानने के लिए उत्सुक रहते हैं। अभी तक इसकी जानकारी किसी के हाथ नहीं लगी थी, लेकिन निशांत की गद्दारी ने दुश्मनों की योजना सफल कर दी। 

हालांकि अभी यह पता लगाना बाकी है, कि निशांत ने कौन कौन सी जानकारियां दुश्मन देश को भेजी हैं।