ब्रह्मोस जासूसी मामले में जांच एजेंसियों और यूपी एटीएस ने अपनी पड़ताल का दायरा बढ़ा दिया है। इन टीमों ने ब्रह्मोस एयरोस्पेस की हैदराबाद स्थित उत्पादन इकाई में पाकिस्तान के लिए कथित तौर पर जासूसी करने वाले निशांत अग्रवाल के कंप्यूटर का ब्यौरा खंगाला है। अग्रवाल ने इस केंद्र पर छह महीने का प्रशिक्षण लिया था। जांच एजेंसियां यह पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि कहीं अग्रवाल ने सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का डिजाइन और दूसरा संवेदनशील ब्यौरा तो दुश्मन देश को लीक नहीं किया।

सरकार के एक वरिष्ठ सूत्र ने 'माय नेशन' को बताया, 'यूपी पुलिस के एंटी टेरर स्क्वॉड (एटीएस) की तीन सदस्यीय टीम और दूसरी खुफिया एजेंसियों हैदराबाद स्थित ब्रह्मोस सेंटर पहुंची। वहां प्रशिक्षण के दौरान अग्रवाल द्वारा इस्तेमाल किए गए कंप्यूटर की बारीकी से जांच की गई। यह पता लगाने की कोशिश की गई कि अग्रवाल के कंप्यूटर की हार्ड डिस्क में कौन-कौन से दस्तावेज मौजूद थे।'

सूत्रों के अनुसार, अग्रवाल के कंप्यूटर को खंगालने की पूरी प्रक्रिया के दौरान एटीएस हर समय उसके संपर्क में रहीं। उससे सिक्योरिटी में सेंध को लेकर सवाल पूछे गए। गिरफ्तार किए गए इस अधिकारी से मिली सूचना के बाद जांच एजेंसियां ब्रह्मोस के दूसरे केंद्रों की भी पड़ताल कर सकती हैं। 

दस साल में ब्रह्मोस के केंद्रों का विस्तार हुआ है। अब इसके केंद्र केरल और राजस्थान में भी हैं। सरकार ब्रह्मोस एयरोस्पेस की सुरक्षा में लगी सेंध को भी गंभीरता से ले रही है। यह एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी है। इसके परिसरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी कार्पोरेशन के चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर की है। 

जांच एजेंसियां पूछताछ के दौरान ब्रह्मोस के कर्मचारी से मिली सूचनाओं पर काम कर रही हैं। साथ ही इस्लामाबाद में बनी फर्जी आईडी से अग्रवाल के साथ हुई चैट का बारीकी से विश्लेषण कर रही हैं। माना जा रहा है कि दोनों आईडी को पाकिस्तान में आईएसआई हैंडलर द्वारा बनाया गया था। 

ब्रह्मोस के नागपुर केंद्र से अग्रवाल दो फर्जी आईडी के संपर्क में था। ये दोनों आईडी 'नेहा शर्मा' और 'पूजा रंजन' के नाम से बनाई गई थीं। इस तरह के फर्जी फेसबुक एकाउंट को भारत के वरिष्ठ अफसरों तक पहुंचने के लिए बनाया जाता है। दुश्मन देश की खुफिया एजेंसी वर्चुअल वर्ल्ड के जरिये उन्हें हनी ट्रैप में फंसाने की कोशिश करती हैं।