भारतीय जांच एजेंसियां बैंकों से करोड़ों रुपये का कर्ज लेकर लंदन भागे शराब व्यवसायी विजय माल्या के प्रत्यर्पण के काफी करीब पहुंच गई हैं।  लंदन हाईकोर्ट ने माल्या की ओर से अपने प्रत्यर्पण के फैसले के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया है। अब माल्या के पास सिर्फ ब्रिटेन की सर्वोच्च अदालत में ही अपील करने का विकल्प बचा है। अगर हाईकोर्ट ने यह कह दिया कि विजय माल्या का केस सार्वजनिक हित के तहत आता है तो फिर उसके पास सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई का विकल्प बचेगा नहीं।

इसलिए हो सकता है कि विजय माल्या जल्दी ही भारत ले आया जाए। अगर अगले एक महीने में विजय माल्या का प्रत्यर्पण होता है तो यह नरेंद्र मोदी सरकार की बड़ी उपलब्धि होगी।

खास बात यह है कि वह इस मामले में अब कोई नई याचिका दायर नहीं सकता। एजेंसियों का कहना है कि अगले एक पखवाड़े में माल्या के प्रत्यर्पण की कोशिश तेज होगी। माल्या पर कई बैंकों से धोखाधड़ी, मनी लांड्रिंग और विदेशी मुद्रा विनिमय एक्ट यानी फेमा के उल्लंघन के गंभीर आरोप हैं। हाल ही में ब्रिटेन के गृहमंत्री साजित जावीद ने उसे भारत को प्रत्यर्पित करने का फैसला लिया है। 

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इससे पहले, लंदन के वेस्टमिंस्टर कोर्ट की चीफ मजिस्ट्रेट एम्मा अर्बुथनॉट ने माल्या के प्रत्यर्पण को मंजूरी देते हुए अपने फैसले में कहा था कि उनके खिलाफ कर्ज धोखाधड़ी के पर्याप्त सुबूत हैं और प्रथमदृष्टया पाया कि माल्या बैंकों से धोखाधड़ी की साजिश में शामिल थे।  उन्होंने अपने फैसले में 10 दिसम्बर 2018 को कहा था कि 63 साल के कारोबारी माल्या को भारतीय अदालतों के समक्ष जवाब देना होगा।

अभी कुछ दिन पहले ही उसने लंदन की एक अदालत को  बताया कि वह कंगाल हो चुका है। उसके पास पैसा नहीं है। वह अपना खर्च चलाने के लिए अपनी पत्नी और बच्चों से पैसा ले रहा है। यही नहीं उनसे अपने निजी सहायक और एक कारोबारी से भी 75.7 लाख और 1.15 करोड़ रुपये उधार लिए हैं। माल्या ने कोर्ट में कहा कि उसे अपनी जिंदगी चलाने के लिए और पुराने कर्ज चुकाने के लिए ये पैसे उधार लिए हैं।