लखनऊ। उत्तर प्रदेश में 12 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में बहुजन समाज पार्टी सीधे तौर पर अपने पूर्व सहयोगी समाजवादी पार्टी के वोट बैंक को खत्म करने तैयार में है। बीएसपी खासतौर से एसपी के मुस्लिम वोट बैंक को नुकसान पहुंचाएगी। इसके लिए बीएसपी ने एक विशेष रणनीति बनाई है। जिसका फायदा उसे उपचुनाव के साथ ही 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में भी मिलेगा।

प्रदेश में 12 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव अगले छह महीने के दौरान होना है। राज्य में विभिन्न दलों के 11 विधायक सांसद बने हैं जबकि एक विधायक के अयोग्य होने के कारण एक और सीट पर उपचुनाव होना है। लिहाजा इसके लिए बीएसपी ने अपनी तैयारियां अभी से शुरू कर दी है।

बीएसपी को लोकसभा चुनाव में मुस्लिमों का वोट मिला था और उसके मुस्लिम सांसद चुनाव जीतने में कामयाब रहे थे। जिसके बाद बीएसपी ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है। बीएसपी ने लोकसभा चुनाव के दौरान सोशल इंजीनियरिंग कर सभी वर्गों के लोगों को टिकट दिया था।

लेकिन पार्टी को मुस्लिम, जाटव और अति पिछड़ी जातियों का वोट मिला। जिसके बाद उपचुनाव के लिए बीएसपी ने अपनी नई रणनीति तैयार की है। लोकसभा चुनाव में बीएसपी प्रमुख मायावती ने मुस्लिमों से उसे वोट देने की अपील की थी। जिसका फायदा मायावती को भी मिला। 

वर्तमान में राज्य विधानसभा में बीएसपी के 19 विधायक हैं जबकि एसपी के 47 और कांग्रेस को महज 7 सीटें ही मिलीं थीं। लिहाजा अब बीएसपी उपचुनाव में नया दांव खेल आगे की रणनीति बनाने पर जोर रहे है। बीएसपी को लगता है एसपी का जनाधार मुस्लिमों में कम हो रहा है और ये सही मौका है जब वह मुस्लिमों में पैठ बना सकती है।

लोकसभा में बीसएपी के सांसदों की संख्या ज्यादा होने के कारण बीएसपी मुस्लिमों की आवाज संसद में ज्यादा उठा सकती है। यही नहीं बीएसपी ने अपने संगठन में मुस्लिम नेताओं को और ज्यादा तवज्जो देने की तैयारी भी कर ली है। बीएसपी नेताओं को उम्मीद है कि अगर बीएसपी ने राज्य के 19 फीसदी से ज्यादा मुस्लिमों में पकड़ बना ली तो उसका गणित विधानसभा चुनाव में फेल नहीं हो सकता है।