उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में सभी की जुबान पर बसपा का हाथी चर्चा का विषय बना हुआ है। हर किसी के पास यही सवाल है कि क्या इस बार लोकसभा चुनाव में बसपा का हाथी खुला रहेगा। असल में लखनऊ समेत राज्य के कई जिलों के कई पार्कों में बसपा शासन के दौरान हाथी लगाए थे, जिन्हें चुनाव के दौरान ढक दिया जाता है। लेकिन अभी तक इस बारे में चुनाव आयोग ने कोई फैसला नहीं किया है।

गौरतलब है कि राजधानी लखनऊ और गौतमबुद्ध नगर के कई पार्कों में बहुजन समाज पार्टी के चुनाव चिन्ह हाथी की मूर्तियों को ढकने का कोई आदेश चुनाव आयोग से जिला प्रशासन को अभी तक नहीं मिला है। जिसको लेकर लखनऊ जिला प्रशासन और गौतमबुद्धनगर जिला प्रशासन असमंजस में है। क्योंकि लोकसभा चुनाव के लिए आचार संहिता लागू हो गयी है और जिला प्रशासन चुनाव आयोग से इस बाबत पत्र लिखकर पूछा है। लेकिन अभी तक चुनाव आयोग ने इस बारे में कोई निर्देश नहीं दिए हैं। असल में हाथी बसपा का सिंबल है। लिहाजा चुनाव आयोग ने पहले इसको ढकने को आदेश दिया था।

विदित है कि 2014 में हुए पिछले लोकसभा चुनाव में चुनाव आयोग ने राजधानी लखनऊ और गौतमबुद्ध नगर के पार्को में लगी हाथी की मूर्तियों को ढकने के आदेश दिये थे। इस आदेश के बाद बसपा प्रमुख मायावती ने कहा था कि ‘खुला हाथी लाख का, ढका हाथी सवा लाख का' होता है। लखनऊ के भीमराव अम्बेडकर सामाजिक परिवर्तन स्थल तथा काशीराम इको पार्क में हाथी की दर्जनों मूर्तियां लगी हैं। जिसको देखकर लोग प्रभावित होते हैं। इसके साथ ही इससे बसपा का भी चुनाव प्रचार होता है। लिहाजा चुनाव आयोग ने हाथियों को ढकने का आदेश दिया था।

इस बारे में लखनऊ के जिलाधिकारी कौशलराज शर्मा का कहना है कि इस बार चुनाव आचार संहिता लगने के बाद जिला प्रशासन ने 12 मार्च को मूर्तियों को ढकने के बारे में चुनाव आयोग को पत्र लिखकर पूछा था। लेकिन अभी तक आयोग की तरफ से कोई जवाब नहीं आया है। जानकारी के मुताबिक उत्तर प्रदेश में 2017 के विधानसभा चुनाव में भी चुनाव आयोग ने हाथियों को ढकने का आदेश नहीं दिया था।