जयपुर। राजस्थान में जारी सियासी संकट के बीच कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ गई हैं। राजस्थान हाईकोर्ट की खंडपीठ ने कांग्रेस में 2019 मे विलय करने वाले बहुजन समाज पार्टी के छह विधायकों नोटिस दिया है। इससे राज्य में कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ गई हैं और विधायकों को इसके लिए कोर्ट को जवाब देना है। वहीं राज्य में कांग्रेस में बागी गुट अपने स्टैंड पर कायम है और राज्य में मुख्यमंत्री बदलने की मांग पर अड़ा हुआ है और वहीं कांग्रेस सरकार बचाने के लिए विधायकों को एकजुट करने की कोशिश में लगी है। फिलहाल राज्य में 14 अगस्त से विधानसभा का सत्र शुरू होने जा रहा है।

असल में राज्य में छह बसपा विधायकों के कांग्रेस में विलय के फैसले के खिलाफ बसपा और भाजपा के विधायक मदन दिलावर ने राजस्थान हाईकोर्ट का रुख किया था। वहीं कोर्ट की एकल पीठ ने स्पीकर सीपी जोशी और कांग्रेस में विलय करने वाले छह बसपा विधायकों को 11 अगस्त तक जवाब देने को कहा था। हालांकि स्पीकर सीपी जोशी के वकील का कहना था कि याचिकाकर्ता मदन दिलावर और बसपा की तरफ से दायर विशेष अपील विचार योग्य नहीं है क्योंकि विधायक बसपा के नहीं है वह भाजपा के हैं। जबकि विधायकों ने कांग्रेस में विलय किया है। वहीं कोर्ट ने कहा कि इसको लेकर जिला न्यायाधीश बसपा विधायकों को नोटिस जारी करे और जरूरत पड़े तो जैसलमेर के एसपी की मदद नोटिस देने के लिए करे। फिलहाल इन याचिकाओं पर 11 अगस्त तक फैसला देना चाहिए।

इस मामले में जयपुर हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति महेंद्र कुमार गोयल की एकल पीठ ने विधानसभा स्पीकर और सचिव और बसपा के छह विधायकों को 30 जुलाई को नोटिस जारी करते हुए 11 अगस्त को जवाब देने का कहा था। वहीं राज्य में 14 अगस्त से राज्य में विधानसभा सत्र शुरू होना है और ऐसे में राज्य की कांग्रेस सरकार की मुश्किलें बढ़ी हुई हैं। क्योंकि कोर्ट का फैसला अगर बसपा विधायकों के खिलाफ आ गया तो राज्य में कांग्रेस सरकार पूरी तरह से अल्पमत में आ जाएगी।