आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए हर कोई राजनीति में अपना हाथ आजमाना चाहता है। नौकरशाह भी इस मामले में पीछे नहीं रहना चाहते हैं। उत्तर प्रदेश से लेकर दिल्ली तक कई नौकरशाह आगामी लोकसभा चुनाव में चुनाव लड़कर अपनी दूसरी पारी शुरू करना चाहते हैं, तो कुछ की नजर रिटायरमेंट के बाद सरकारी विभागों में होने वाली राजनैतिक नियुक्तियों पर है।

उत्तर प्रदेश में सपा और बसपा के गठबंधन के बाद से ही नौकरशाहों ने दोनों दलों के आकाओं से अपने संपर्क बनाने शुरू कर दिए हैं। खासतौर से वो नौकरशाह जो कभी अखिलेश यादव के खास हैं या फिर मायावती के खास थे। हाल ही में यूपी में डीजी होमगार्ड्स के पद से रिटायर हुए सूर्य कुमार शुक्ला ने भाजपा का हाथ थामा। शुक्ला पहले भी योगी सरकार से रिटायरमेंट के बाद राजनैतिक पदों पर नियुक्त होने की इच्छा जता चुके हैं। अब भाजपा का दामन थाम कर आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारी में हैं। शुक्ला के साथ ही पीसीएस अफसर रामेश्वर दयाल ने भी भाजपा की ओर रूख किया। राज्य में पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान कभी मायावती के खास रहे बृजलाल ने भाजपा की सदस्यता ली।

सके बाद उन्हें राज्य अनूसूचित जाति और जनजाति आयोग का अध्यक्ष बना दिया गया। राज्य में कभी मायावती के करीब रहे राज बहादुर भी आगामी लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी में है। राज्य के ही आईएएस अफसर हरीश चंद्र तो अपनी राजनैतिक पार्टी का गठन कर चुके हैं हालांकि वह चुनाव जीतने में विफल रहे। जबकि राज्य में मायावती के करीबी अफसरों में शुमार पीएल पुनिया ने अपनी राजनैतिक पारी कांग्रेस से शुरू की और बाद वह सांसद बने। वहीं अब दिल्ली में शीला दीक्षित को कांग्रेस की कमान मिलने के बाद उनके करीबी कई अफसर कांग्रेस से जुड़ने जा रहे हैं। हालांकि राज्य में कांग्रेस की सरकार नहीं है।

जानकारी के मुताबिक दिल्ली के चीफ सेक्रेटरी रहे डीएम स्पोलिया कांग्रेस में शामिल होने जा रहे हैं। स्पोलिया 1979 बैच के अफसर शीला सरकार में कई अहम पदों पर रह चुके हैं। उन्होंने शीला दीक्षित के मुख्यमंत्री के रहते हुए राज्य में अन्नश्री और लाडली जैसी योजनाएं शुरू की थी। स्पोलिया ने ही राज्य में डीटीसी की नई बसों को शुरू किया था। इससे दिल्लीवासियों को काफी लाभ मिला था। पिछली बार लोकसभा चुनाव से पहले यूपीए सरकार के दौरान गृह सचिव रहे आरके सिंह, मुंबई पुलिस कमिश्नर रहे सत्यपाल सिंह ने भाजपा का दामन थामा था और उसके बाद चुनाव लड़े और सांसद बने। पिछले साल ही केन्द्र की भाजपा सरकार ने आरके सिंह और सत्यपाल मलिक को केन्द्र में मंत्री बनाया था।

पिछले साल छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के दौरान इन तीनों राज्यों में कई नौकरशाहों ने विभिन्न राजनैतिक दलों का दामन थामा था। छत्तीसगढ़ में अपने बेहतर कार्यों के लिए कई पुरस्कार हासिल करने वाले आईएएस अफसर ओपी चौधरी ने भाजपा का ज्वाइन किया था और चुनाव लड़ा था। उसके बाद राज्य में करीब डेढ़ दर्जन नौकरशाहों ने भाजपा कांग्रेस और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ से अपने राजनैतिक जीवन की शुरूआत की थी। राज्य में अजीत जोगी पहले ब्यूरोक्रेट्स थे और उसके बाद राज्य के मुख्यमंत्री बने।

जबकि राजस्थान में विजेन्द्र झाला, के राम बगड़िया, जेपी चंदेलिया कांग्रेस का दामन था तो, डीएल नवल, रामलुभाया और गिरिराज मीणा ने भी भाजपा के साथ सियासी पारी खेली। राजस्थान में इससे पहले कई नौकरशाहों ने राजनीति में सफल पारी खेली। इसमें अर्जुनराम मेघवाल, सीआर चौधरी, हरिश्चंद्र मीणा और नमोनारायण मीणा का नाम प्रमुख है।