लखनऊ। उत्तर प्रदेश की 13 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव राज्य के राजनैतिक दलों के लिए किसी फाइनल एक्जाम से कम नहीं है। इन चुनाव में राज्य में राजनैतिक दलों की हैसियत मालूम चलेगी। यही नहीं सत्ताधारी इन चुनाव में कितनी सीट जीतता है। इससे सरकार के प्रदर्शन को भी आंका जाएगा। जबकि सपा और बसपा के लिए ये चुनाव उनकी जमीनी हकीकत बताएंगे।

राज्य में 13 विधानसभा सीटों पर जल्द ही उपचुनाव होने हैं। एक सीट के लिए चुनावा आयोग ने तारीख की घोषणा कर दी है। जबकि 12 सीटों पर जल्द ही चुनाव की घोषणा होनी है। ऐसे में सभी राजनैतिक दलों ने अपने अपने प्रत्याशियों के नामों का ऐलान कर दिया। इस मामले में सबसे पहले बसपा ने इन सीटों के लिए प्रत्याशियों की घोषणा की है जबकि सपा ने एक सीट पर नाम घोषित किया है जबकि भाजपा ने किसी को प्रत्याशी नहीं बनाया है।

किसी तरह जाएंगे मुस्लिम 

लोकसभा चुनाव में मुस्लिमों ने बसपा को वोट दिया था, जिसके कारण चुनाव में बसपा को 10 सीटें मिली जबकि सपा को महज 5 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा। लेकिन इस बार बसपा से मुस्लिम वोट नाराज बताए जा रहे हैं। क्योंकि सपा ने बसपा के साथ गठबंधन तोड़ने के बाद मुस्लिमों को लग रहा है कि मुस्लिम वोटों को अपनी तरफ लाने के लिए बसपा ने सपा से गठबंधन किया था। मुस्लिमों ने भाजपा को हराने के लिए वोट दिया था। लिहाजा इस बार उपचुनाव में मुस्लिमों सपा की तरफ से रूख कर सकते हैं।

यूपी में नहीं है मजबूत विपक्ष, मिल सकता है भाजपा को फायदा

राज्य में फिलहाल भाजपा के सामने कोई मजबूत विपक्ष है। लेकिन इस चुनाव में सबसे दांव भाजपा का ही लगा है। क्योंकि चुनाव में दो विधायक सपा और बसपा के एमपी बने हैं जबकि दस विधायक भाजपा के। अगर भाजपा कम सीटें जीतती है तो विपक्षी दलों को राज्य में मजबूत माना जाएगा।