सीएजी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार के समय में फ्रांस के साथ हुए 36 राफेल लड़ाकू विमानों के सौदे की जांच पूरी कर ली है। खास बात यह है कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने 2007 से 2014 के बीच कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार के समय हुए इसी तरह के 126 विमानों के नाकाम सौदे की भी विस्तार से जांच की है। 

सरकार के वरिष्ठ सूत्रों ने 'माय नेशन' को बताया, सीएजी रिपोर्ट का मसौदा रक्षा मंत्रालय को सौंप दिया गया है। सीएजी की ओर से इस पर सभी हितधारकों से टिप्पणियां मांगी गई हैं। अब इसके जवाब तैयार किए जा रहे हैं।

सूत्रों का कहना है कि 59,500 करोड़ रुपये के 36 राफेल विमानों के सौदे की जांच के अलावा सीएजी ने कांग्रेस काल के टेंडरों की भी गहनता से पड़ताल की है। कांग्रेस काल में हुए 126 राफेल विमानों के सौदे को जून 2015 में प्रक्रियागत दिक्कतों के चलते वापस लिया गया था। 

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सूत्रों के अनुसार, ऐसा समझा जाता है कि कांग्रेस के समय हुए रक्षा सौदों की प्रक्रिया को लेकर सीएजी ने गंभीर सवाल खड़े किए हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, सीएजी ने पिछले कुछ वर्षों के दौरान रक्षा मंत्रालय के दर्जन भर बड़े रक्षा सौदों की पड़ताल की है।

सीएजी द्वारा रिपोर्ट को अंतिम रूप देने के बाद इसे संबंधित मंत्रालय को भेजा जाता है ताकि उठाए गए मामलों पर जवाब मिल सके। इन्हें संसद में रखी जाने वाली अंतिम रिपोर्ट में शामिल किया जाता है। 

हाल ही में सीएजी की रिपोर्ट में यूपीए सरकार के समय नौसेना के लिए 14,000 करोड़ रुपये में खरीदे गए आठ टोही विमानों में अनियमितताओं की ओर इशारा किया गया था। हालांकि सरकार को अभी इस मामले में कार्रवाई करनी है और इस रिपोर्ट पर लोक लेखा समिति में चर्चा होने की संभावना है।