राजस्थान की महिला और बाल विकास राज्यमंत्री ममता भूपेश शायद यह भूल गई हैं कि उन्होंने भेदभाव से मुक्त आचरण करने की संविधान की शपथ ली है।  इसीलिए उन्होंने एक जातीय सम्मेलन में अपनी जाति के लिए काम करने की प्राथमिकता की बात की है। 

राजस्थान की महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री ममता भूपेश ने निर्वाचित जन प्रतिनिधि की गरिमा के विरुद्ध बयान दिया है। 

अलवर के रैणी कस्बे में सोमवार को आयोजित बैरवा दिवस व प्रतिभा सम्मान समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि हमारा पहला काम हमारी जाति के लिए होगा। उन्होंने कहा, " प्रथम कार्य हमारा हमारी जाति के लिए, उसके बाद हमारे समाज के लिए, उसके बाद सर्व समाज के लिए, सबके लिए।" 

उन्होंने आगे  कहा कि ‘हमारी मंशा ये रहेगी कि हम सबके लिए काम कर पाएं’। 

ममता भूपेश ने अपनी जाति के लोगों को आश्वासन देते हुए कहा कि ‘जहां भी आपको मेरी जरूरत होगी, मैं पीठ नहीं दिखाऊंगी। हमारा पहला काम हमारी जाति के लिए होगा, इसके बाद हमारे समाज के लिए, फिर सर्वसमाज के लिए होगा। मंत्री का यह बयान चर्चा का विषय बन गया’।

भूपेश के इस बयान से राजस्थान का राजनीतिक माहौल गरमा गया. जिस कारण उन्होंने बाद में सफाई देते हुए कहा कि वह चाहती हैं कि प्रत्येक व्यक्ति जो राज्य में रह रहा है, वह सम्मान के साथ रहे और साथ ही सबके लिए काम हो। 

ममता भूपेश का यह बयान कांग्रेस की जातीय राजनीति के अनुरुप ही है। क्योंकि कुछ दिनों पहले राजस्थान कांग्रेस के ही एक वरिष्ठ नेता सीपी जोशी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केन्द्रीय मंत्री उमा भारती की जाति को लेकर विवादित टिप्पणी की थी। 

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