उत्तर प्रदेश के दो मुख्यमंत्रियों की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। सीबीआई की जद में बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष आने वाले हैं। क्योंकि उत्तर प्रदेश में चीनी मिल घोटाले की जांच में मायावती के करीबी अफसर के आने के बाद मायावती तो खनन घोटाले की आंच अखिलेश तक पहुंच सकती है। हालांकि दोनों मुख्यमंत्रियों ने लोकसभा चुनाव के दौरान केन्द्र पर सीबीआई का दुरूपयोग करने का आरोप लगाया था।

राज्य में सीबीआई ने राज्य में हुए खनन घोटाले में सात आईएएस अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। ये घोटाले राज्य में समाजवादी पार्टी के दौरान हुए थे और उस वक्त खनन विभाग अखिलेश यादव के पास ही था। हालांकि बाद में इस विभाग को गायत्री प्रजापति को दे दिया था।

जो अभी एक बलात्कार के मामले में जेल में बंद हैं। इस मामले में सीबीआई ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद जांच शुरू की। पिछले दिनों सीबीआई ने हमीरपुर की जिलाधिकारी बी.चंद्रकला के आवास पर भी खनन मामले में एफआईआर की थी। वहीं ईडी भी चंद्रकला से पूछताछ कर रही है।

अब ये बात साफ हो गयी है कि खनन मामले में सीबीआई की जांच की आंच समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व सीएम अखिलेश यादव तक भी पहुंचेगी। क्योंकि सीबीआई ने हाईकोर्ट को बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री ने खनन मंत्री रहते हुए हमीरपुर में खनन लीज पर अनुमति दी थी। इन खनन प्रस्तावों को ई-टेंडरिंग प्रक्रिया के बजाय सीधे फाइलों पर मंजूरी दी गयी थी।

वहीं बीएसपी सरकार में राज्य सरकार ने चीनी निगम की चीनी मिलों को निजी क्षेत्र को बहुत कम दामों में बेच दिया था। जिसकी आंच अब मायावती के करीबी माने जाने वाले आईएएस अफसर नेतराम और चीनी निगम के प्रबंध निदेशक विनय प्रिय दुबे तक पहुंच गयी है। नेत राम मायावती के प्रमुख सचिव के साथ ही चीनी विकास और गन्ना विभाग के प्रमुख सचिव थे। लिहाजा अब सीबीआई जांच में उनके घिर जाने के बाद सीबीआई मायावती से भी पूछताछ कर सकती है।