सीबीआई को लेकर चल रहे संग्राम में अब कांग्रेस भी कूद गई है। लोकसभा में कांग्रेस विधायक दल के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने केंद्र द्वारा सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजने के फैसले को अवैध बताते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने इसे सीबीआई एक्ट का उल्लंघन करार देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। कांग्रेस नेता ने यह भी कहा कि केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) के पास सीबीआई निदेशक के खिलाफ कार्रवाई का कोई अधिकार नहीं है।

खड़गे ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने की पुष्टि करते हुए बताया, ‘प्रधानमंत्री मोदी द्वारा स्वत: संज्ञान लेते हुए सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजे जाने की कार्रवाई अवैध है और यह सीबीआई अधिनियम का उल्लंघन है।’ 

पार्टी सूत्रों ने कहा कि कांग्रेस ने खड़गे से कहा था कि वह इस संबंध में याचिका दायर करें। खड़गे सीबीआई निदेशक की नियुक्ति करने वाली समिति के सदस्य भी हैं। सीबीआई में मचे घमासान पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी जमकर निशाना साध चुके हैं। उन्होंने राकेश अस्थाना को पीएम का पसंदीदा अधिकारी बताते हुए भी ट्वीट किया था।

लोकसभा में कांग्रेस के नेता खड़गे ने अपनी याचिका में कहा कि अधिनियम के मुताबिक, सीबीआई निदेशक की नियुक्ति या उसे हटाने के बारे में नेता प्रतिपक्ष, प्रधानमंत्री और चीफ जस्टिस की तीन सदस्यीय समिति को ही अधिकार है। इससे पहले राहुल गांधी के नेतृत्व कांग्रेस सीबीआई दफ्तर के बाहर प्रदर्शन भी कर चुकी है। 

सीबीआई के शीर्ष दो अधिकारियों के बीच की लड़ाई मीडिया में आने के बाद से विपक्षी दल सरकार पर हमलावर हैं। एजेंसी के भीतर की जंग खुले में आने के बाद मोदी सरकार ने डैमेज कंट्रोल के तहत सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा और स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेज दिया। 
 
खास बात यह है कि 2017 में लोकसभा में कांग्रेस के नेता खड्गे ने आलोक वर्मा की सीबीआई निदेशक बनाने के खिलाफ प्रधानमंत्री को कड़े शब्दों में चिट्ठी लिखी थी। उन्होंने स्टेट विजिलेंस में आलोक वर्मा के 18 महीने के संक्षिप्त कार्यकाल के दौरान भ्रष्टाचार के मामलों की जांच में वर्मा की 'अनुभवहीनता' का हवाला दिया था। खड़गे सीबीआई डायरेक्टर के पद के लिए गृह मंत्रालय में विशेष सचिव आरके दत्ता का समर्थन कर रहे थे। अपने नोट में खड्गे ने तर्क दिया था कि दत्ता के 208 महीने का अनुभव वर्मा के 18 महीनों की तुलना में बेहतर रहा है। उस समय आलोक वर्मा के कटु आलोचक रहे खड़गे ने कहा था कि "इस समिति को यह तय करना चाहिए जो उम्मीदवार भ्रष्टाचार विरोधी और देश की अखंडता के मानकों पर दूसरे उम्मीदवारों से आगे निकलता हो उसे उच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए।"