सीबीआई बनाम सीबीआई विवाद मामले में सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान वर्मा के वकील फली एस नरीमन ने कहा कि मामले को मीडिया रिपोर्ट्स से नही रोक जा सकता। साथ ही नरीमन ने किसी तरह की गोपनीय जानकारी लीक होने से भी इनकार कर दिया है। 

इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई न्यायमूर्ति, संजय किशन कौल और न्यायधीश के एम जोसेफ की पीठ कर रही है। 

नरीमन की सफाई पर मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा कि कोई बात नहीं। आलोक वर्मा के वकील फली नरीमन ने कोर्ट को सीवीसी (CVC) के अधिकार और उसके रोल के बारे में और 
सीबीआई के ऊपर सीवीसी के निगरानी करने के अधिकार क्या है इससे कोर्ट को अवगत कराएं। 

इतना ही नही फली नरीमन ने सीबीआई निदेशक के कार्यकाल के बारे में बताते हुए कोर्ट से कहा कि अगर विशेष परिस्थिति में निदेशक का ट्रांसफर करना भी पड़े तो वो नियुक्त करने वाली सेलेक्ट कमेटी के अनुमति से ही हो सकता है। 

नरीमन ने यह भी कहा कि अगर उन्हें लगता भी था कि कुछ आरोप वर्मा पर है तो उन्हें सेलेक्ट कमेटी के पास जाना चाहिये था। वैसे ये ट्रांसफर नही है बल्कि शंटिंग थी।  ट्रांसफर करने का अधिकार सेलेक्ट कमेटी के पास था। 

जिसपर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि हम सबसे पहले सभी पक्षों की दलील सुनना चाहते है कि क्या सीबीआई निदेशक को हटाने या ट्रांसफर करने का अधिकार ऐरफ सेलेक्ट कमेटी के पास ही है।
 
दूसरी ओर अंडमान ट्रांसफर किये गए ऑफिसर एके बस्सी के ओर से पेश वकील राजीव धवन ने मुख्य न्यायाधीश से कहा कि आपने पिछली सुनवाई के दौरान कहा था कि सुनवाई के काबिल नही है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है।जिसके बाद मुख्य न्यायाधीश ने धवन को आश्वासन दिया कि आपको पूरा सुना जाएगा आप शांत हो जाइये। 

 संस्था कॉमन कॉज की ओर से पेश वकील दुष्यंत दवे से कोर्ट ने पूछा नरीमन से अलग दलील है तो आप बताये। जस्टिस जोसेफ ने फली नरीमन से पूछा कि अगर सीबीआई निदेशक घूस लेते पकड़े जाते तो क्या होता, इस पर नरीमन ने कहा कि तो फिर उनको कोर्ट में या कमेटी के सामने जाना होता। 

मल्लिकार्जुन खड़गे की याचिका पर दलील देने के लिये जब कपिल सिब्बल खड़े हुए तो मुख्य न्यायाधीश ने पूछा कि आप कौन है तो कपिल सिब्बल ने कहा कि वो सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के नेता की तरफ से पेश हुए है। कपिल सिब्बल ने कहा कि सीबीआई के मामले में सीवीसी को सीबीआई के केसों में केवल जांच की निगरानी करने का अधिकार है ना कि ऐसे फैसले लेने का। इस मामले में सीवीसी की सिफारिश DOPT ने फैसला लिया था। जबकि एक्ट के मुताबिक DOPT को भी ये अधिकार नहीं है। 

मुख्य न्यायाधीश ने कपिल सिब्बल से कहा कि क्या आप यह कहना चाह रहे है कि किसी भी परिस्थिति में सीबीआई डायरेक्टर को सेलेक्ट कमेटी के अलावे कोई और छू नहीं सकता या फिर इसके अपवाद भी हो सकते है। जिसपर सिब्बल ने कहा कि केवल सेलेक्ट कमेटी ही फैसला ले सकती है कोई और नही। मामले की सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल  के वेणुगोपाल ने कहा कि सीबीआई के निदेशक की नियुक्ति के लिए कमिटी कुछ चुनिंदा लोगो को चुनती है और सरकार के सामने रखती है, उसके बाद सरकार उन चुनिंदा लोगो मे से सबसे बेहतरीन उम्मीदवार को चुनती है। 

कोर्ट ने कहा हम सीवीसी रिपोर्ट पर जाएं या नहीं ये हम तय करेंगे। क्योंकि इसके बाद सभी पक्षकारों को इस पर जवाब देने के लिए अनुमति देनी होगी। कोर्ट 5 दिसंबर को अगिला सुनवाई करेगा। 

बतादें की पिछली सुनवाई के दौरान सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा पर लगे आरोप के बाद सीवीसी की रिपोर्ट के बाद अपना जवाब दाखिल कर दिया है। जिसके बाद वर्मा की रिपोर्ट मीडिया में लीक होने पर मुख्य न्यायधीश ने वर्मा के वकील को आड़े हाथ लिया था और पूछा था कि यह रिपोर्ट मीडिया में कैसे लीक हो गया। 

मुख्य न्यायाधीश ने यहां तक कह दिया था कि आपमे से कोई भी सुनवाई योग्य नही है। ज्ञात हो कि सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई निदेशक के खिलाफ लगे भ्रष्टाचार के आरोपों पर सीवीसी की प्रारंभिक रिपोर्ट के बाद आलोक वर्मा से सीलबंद लिफाफे में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था। 

कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा था सीवीसी कुछ आरोपो की आगे जांच करना चाहता है जिसके लिए उसको समय चाहिए। 

वहीं कोर्ट ने सीवीसी रिपोर्ट की प्रति मुहैया कराने संबधी सीबीआई के स्पेशल निदेशक राकेश अस्थाना की मांग को खारिज कर दिया था। कोर्ट ने अस्थाना की मांग को खारिज करते हुए कहा था कि सीबीआई में लोगो के प्रति भरोसे की रक्षा करने और संस्थान की पवित्रता बनाये रखने के लिए सीवीसी रिपोर्ट की गोपनीयता बनाये रखना जरूरी है। 

दूसरी ओर सीबीआई के एक अन्य अधिकारी मनोज सिन्हा ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर कर अपने ट्रांसफर को चुनौती दे रखी है। सिन्हा ने अपनी अर्जी में स्पेशल निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ कथित हस्तक्षेप का प्रयास करने का राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल, केंद्रीय मंत्री हरिभाई पार्थीभाई चौधरी और सीवीसी के वी चौधरी पर आरोप लगाया है।