केंद्र ने देशव्यापी सुरक्षा कदम के तहत सभी राज्यों को अपने अधिकार क्षेत्र में रह रहे रोहिंग्या और अन्य अवैध प्रवासियों का बायोमेट्रिक्स ब्योरा लेने को कहा है। गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने यह जानकारी दी। 

अवैध प्रवासियों की पहचान करने के लिए यह कदम उठाया गया है क्योंकि वे लोग देश के विभिन्न हिस्सों में आते - जाते रहते हैं। गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि राज्य सरकारों को स्थानीय पुलिस को रोहिंग्या और अन्य अवैध प्रवासियों का बायोमेट्रिक ब्योरा लेने का निर्देश दिया गया है। 

शरणार्थियों पर संयुक्त राष्ट्र उच्चायोग (यूएनएचसीआर) में देश में रह रहे करीब 14,000 रोहिंग्या पंजीकृत हैं जबकि करीब 40,000 अवैध रूप से रह रहे बताए जा रहे हैं। गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में जुलाई में कहा था कि भारत में कुछ रोहिंग्या मुस्लिम प्रवासी अवैध गतिविधियों में संलिप्त पाए गए हैं और कहा कि देश में उनकी घुसपैठ रोकने के लिए सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है। 

हालांकि, अधिकारी ने बताया कि बायोमेट्रिक ब्योरा लेने का यह मतलब नहीं है कि उन्हें कोई वैध पहचान दस्तावेज दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि ‘आधार’जैसा दस्तावेज सिर्फ उन गैर नागरिकों को जारी किया जा सकता है, जो वैध रूप से भारत की यात्रा करते हैं और भारत में कम से कम छह महीने रहते हैं लेकिन रोहिंग्या अवैध प्रवासी होने के नाते इसके योग्य नहीं हैं। 

सुप्रीम कोर्ट ने भी बुधवार को सरकार को निर्देश दिया कि वह अवैध प्रवासियों को ‘आधार’ जारी नहीं करे।