नई दिल्ली। नागरिकता संसोधन बिल पर लोकसभा में एक बार फिर विपक्षी दलों में बिखराव देखने को मिला। इस बिल के पक्ष में लोकसभा में 311 जबकि विपक्ष में 80 वोट पड़े। इस बिल को लेकर केन्द्र सरकार विपक्षी एकता में सेंध लगाने को सफल रही। लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल के खिलाफ कांग्रेस, टीएमसी, डीएमके, एनसीपी, समाजवादी पार्टी, एआईएमआईएम, सीपीआई ने वोट दिया। उम्मीद की जा रही है कि केन्द्र सरकार राज्यसभा में इस बिल को आसानी से पास कराने में सफल होगी।

लोकसभा में एक बार फिर विपक्षी एकता में केन्द्र सरकार सेंध लगाने में सफल रही। हालांकि केन्द्र सरकार के पास पहले ही बहुमत था। लेकिन कई विपक्षी दलों के साथ आने से केन्द्र सरकार को ताकत मिली। यही नहीं कई मुद्दों पर केन्द्र सरकार का विरोध करने वाली जदयू भी नागरिकता संशोधन बिल पर केन्द्र सरकार के साथ खड़ी दिखाई दी। जिसके कारण केन्द्र सरकार की ताकत और ज्यादा बढ़ गई। केन्द्र गृहमंत्री अमित शाह ने बिल को पेश करने के बाद काफी लंबा भाषण दिया और उन्होंने साफ किया कि ये बिल किसी के खिलाफ नहीं है।

उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि उसके कारण आज इस बिल को लाने की जरूरत पड़ी क्योंकि ने सत्तर साल तक इस देश के नागरिकों को उसके अधिकारों से वंचित रखा। लोकसभा में बिल के पक्ष में 311 वोट पड़े जबकि विपक्ष में 80 वोट पड़े। केन्द्रीय गृहमंत्री ने कहा कि देश के बंटवारे के वक्त नेहरू-लिकायत समझौते में पाकिस्तान ने अपने अल्पसंख्यकों को अधिकार देने का करार किया था, लेकिन पाकिस्तान ने इस करार का पालन नहीं किया और आज वहां पर अल्पसंख्यकों पर जुल्म हो रहे हैं।

किसने दिया सरकार का साथ और कौन था विपक्ष में

इस बिल के समर्थन में लोकसभा में बीजेडी, जदयू, वाईएसआरकांग्रेस,एनडीपीपी,एमएनएफ,एनपीएफ,एपीपी,पीएमके,अकाली दल,एलजेपी समर्थन दिया। जबकि शिवसेना ने बिल का समर्थन सवाल उठाते हुए किया। वहीं इस बिल का कांग्रेस, टीएमसी, डीएमके, एनसीपी, समाजवादी पार्टी,  एआईएमआईएम, सीपीआई,आरएसपी और एकेएम ने विरोध किया।