जेएनयू में देशविरोधी नारेबाजी का मामला बहुत ज्यादा सुर्खियों में आया था। लेकिन इस मामले में आरोपपत्र दो साल बाद दाखिल किया गया है। यह आरोप पत्र सोशल मीडिया प्रोफ़ाइलो कि पड़ताल, वैज्ञानिक साक्ष्यों और बयानों के आधार पर तैयार की गई है। यह आरोप पत्र 10 लोगों के खिलाफ दायर किया गया है। जिसमें कन्हैया कुमार, उमर खालिद और अनिर्बन भट्टाचार्य को मुख्य आरोपी बनाया गया है। इनके अलावा 7 कश्मीरी है। 

आरोप पत्र में जेएनयू की छात्र नेता शहला रशीद, नेता डी राजा की बेटी अपराजिता समेत 36 अन्य छात्रों के नाम है। लेकिन इनके खिलाफ सबूत नही है। 

पुलिस अधिकारियों के मुताबिक फॉरेंसिक रिपोर्ट मिलने में हुई देरी के चलते आरोप पत्र दायर करने में समय लगा। दिल्ली पुलिस के पास इस मामले में बहुत कम ऐसे गवाह थे जो तथ्यों को साबित कर सकते थे। इसलिए भी आरोप पत्र तैयार करने में देरी हुई। 

सूत्रों की माने तो 1200 पेज के इस आरोप पत्र में तीन से ज्यादा फोरेंसिक रिपोर्ट, तकनीक साक्ष्य शामिल किये गए है। इसमें बयान और मैसेज का ब्यौरा भी शामिल है। दिल्ली पुलिस की आतंकवाद रोधी इकाई, स्पेशल सेल ने 10 से 15 ऐसे बाहरी छात्रों की लिस्ट दिया है जिन्होंने जेएनयू में देश विरोधी नारे लगाए थे। 

इतना ही नही आरोप पत्र में यह भी कहा गया है कि देश के अलग-अलग विश्वविद्यालयो से जिसमें अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, जामिया मिल्लिया इस्लामिया में पढ़ने वाले कश्मीरी छात्रों ने देश विरोधी नारेबाजी की। ये अभी लोग उस दिन जेएनयू परिसर में मौजूद थे। जिस दिन यह घटना घटी थी। 

हालांकि इस आरोप पत्र में शहला रशीद समेत 36 छात्रों के नाम होने की बात सामने आ रही है। लेकिन सूत्र बताते है कि शहला के खिलाफ ठोस सबूत नही हैं। 

9 फरवरी 2016 को सोशल मीडिया पर एक वीडियो सामने आया था कि इसमें कुछ छात्र अपना चेहरा छिपाए देश विरोधी नारे लगा रहे थे। ये लोग संसद पर हमले के आरोप में फांसी पर चढ़ाए गए अफजल गुरु के समर्थन में नारेबाजी कर रहे थे। जहां यह प्रदर्शन हो रहा था। वहां जेएनयू छात्र संघ के पदाधिकारी भी मौजूद थे। जिसके बाद इस मामले में जेएनयू प्रशासन ने एक उच्चस्तरीय जांच समिति गठित किया था। 

इस समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि जेएनयू परिसर में बाहर से आए छात्रों ने देश विरोधी नारेबाजी की थी। रिपोर्ट आने के कुछ दिन बाद दिल्ली पुलिस ने कन्हैया कुमार, उमर खालिद और अनिर्बन भट्टाचार्य को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया था। बाद में दिल्ली हाइकोर्ट ने सभी को कुछ शर्तों के साथ जमानत दे दी थी।

ज्ञात हो कि इस मामले में 11फरवरी 2016 को आईपीसी की धारा 124 a यानि देशद्रोह के तहत केस दर्ज किया गया था।