नई दिल्ली: मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले का मुख्य आरोपी बृजेश ठाकुर है जिसे पोस्को एक्ट सेक्शन 5 के तहत न्यूनतम सजा 5 साल और अधिकतम उम्रकैद की सजा का प्रावधान है। इसके अलावा उसपर 376 (2) के तहत भी चार्ज लगाए गए हैं। जिसमें न्यूनतम 10 साल और उम्रकैद की सजा दी जा सकती है।

 मुख्य आरोपी बृजेश ठाकुर और उनके आश्रय गृह के कर्मचारियों के साथ-साथ समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों पर आपराधिक साजिश, कर्तव्य की उपेक्षा, लड़कियों पर हमले की रिपोर्ट करने में विफलता के आरोप लगाए गए। 

किशोर न्याय अधिनियम के तहत उनके अधिकार के तहत बच्चे के साथ क्रूरता का अपराध भी किया गया है कोर्ट इस मामले में तीन अप्रैल से ट्रायल शुरू करेगा। पिछली सुनवाई के दौरान सीबीआई ने कहा था कि मामला काफी गंभीर है। 

सीबीआई ने यह भी कहा था कि कई पीड़ित लड़कियों के बयान हमने दर्ज किए हैं, लेकिन कुछ लड़कियों ने डर के कारण बयान नहीं दर्ज करवाया। जिसपर कोर्ट ने सीबीआई से सभी पीड़ितों द्वारा लगाए आरोपो की रिपोर्ट सौंपने को कहा था। 

कोर्ट ने कहा था कि सीबीआई को यह बताना होगा कि मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर कितनी लड़कियों के साथ यौन शोषण की पुष्टि हुई है। कोर्ट ने यह भी कहा था कि कई लड़कियों ने कहा तो है कि हमारे साथ गलत हुआ है लेकिन उन्होंने किसी पर सीधा आरोप नही लगाया है। 

वहीं सीबीआई ने कोर्ट को बताया था कि इसका कारण है कि ज्यादातर लड़कियां डरी हुई थी। सीबीआई के मुताबिक ज्यादातर लड़कियों के साथ यौन शोषण उनको ड्रग्स देने के बाद किया गया। इसलिए जज ने कहा कि जब बिहार से इस मामले का ट्रायल दिल्ली ट्रांसफर किया गया है तो सभी लड़कियों को कोर्ट में लाकर उनका बयान दर्ज कराना बेहद जरूरी है। 

कोर्ट ने यह साफ कर दिया था कि 12 से 14 साल की उम्र की पीड़ित लड़कियों के साथ जो कुछ भी मुजफ्फरपुर शेल्टर होम में हुआ है, उसमे प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंसेस एक्ट यानी पोस्को एक्ट के तहत आरोप तय करके ट्रायल चलाया जाएगा। जबकि 16 साल से ऊपर की पीड़ित लड़कियों के मामले में धारा 354 के तहत आरोप तय करने का मामला चलाया जाएगा। 

दूसरी ओर इस मामले में याचिकाकर्ता निवेदिता झा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर सीबीआई पर सवाल उठाए है। याचिका में कहा है कि सीबीआई ने आरोप पत्र में हत्या और दुष्कर्म जैसे अपराधों की धाराएं ही नही जोड़ी है। याचिकाकर्ता के मुताबिक सीबीआई ने 14 आरोपियों के खिलाफ साकेत कोर्ट में जो चार्जशीट दायर की है, वह बेहद हल्के अपराधों में है। इसमें हत्या, दुष्कर्म इत्यादि कई अपराधों की धाराओं दर्ज नहीं है। 

जबकि शेल्टर होम से छुड़ाई गई बच्चियों ने कहा था कि उन्हें बड़े अधिकारियों के पास भेजा जाता था, जहाँ उनका यौन शोषण होता था। सीबीआई इस पहलू की जांच नही की है। आरोपियों के खिलाफ फोरेंसिक सबूत सही तरीके से नहीं जुटाए गए।