प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने छत्तीसगढ़ में बीजापुर जिले के जांगला गांव से जब आयुष्मान योजना की शुरुआत की थी, तब उन्हें शायद पता नहीं था कि जिस राज्य से वह इस योजना की शुरुआत कर रहे हैं, उसी राज्य में यह योजना बंद कर दी जाएगी। 

इसकी जगह छत्तीसगढ़ सरकार अपनी अलग स्वास्थ्य योजना लागू करना चाहती है। 

राज्य के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने बताया कि 'हमलोग प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना या आयुष्मान योजना से खुद को अलग कर रहे हैं। मुझे नहीं लगता कि जब हमारे पास सारी स्वास्थ्य सुविधाएं हैं तो हम किसी और से बीमा पॉलिसी लें। हमारे पास दवाएं खरीदने का सिस्टम है, आशा कार्यकर्ता हैं, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और अच्छी अस्पताल भी हैं। हमारे पास पर्याप्त मैनपावर भी है।' 

सिंहदेव का कहना था कि आयुष्मान भारत यूपीए की राष्ट्रीय स्वाथ्य बीमा योजना की तरह ही है। हमने अपने लोकसभा 2014 के शपथपत्र में राइट टू हेल्थ का वादा किया था, हम सिर्फ उसी वादे को पूरा कर रहे हैं।'  

छत्तीसगढ़ सरकार का दावा है कि उसने यह कदम सरकारी डॉक्टरों, अस्पताल के मालिकों और यहां तक कि लाभार्थियों सहित अन्य संगठनों से चर्चा करने के बाद उठाया है। 

स्वास्थ्य मंत्री सिंहदेव ने कहा, 'अभी आयुष्मान भारत का लाभ सिर्फ उन्हीं मरीजों को मिलता है जो अस्पतालों में भर्ती होते हैं। कई प्राइवेट अस्पताल इस योजना के अंतर्गत नहीं आते हैं इसलिए हर मरीज को इसका लाभ नहीं मिल पाता है। हमलोग जो योजना लागू रहे हैं उसमें आउटडोर में आने वाले गरीब मरीजों को भी लाभ मिलेगा।' 

छत्तीसगढ़ पांचवां ऐसा राज्य है जिसने आयुष्मान भारत योजना को अपने राज्य में लागू करने से इनकार कर दिया है। 

एक महीने पहले ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने इस योजना की जगह इसी की तर्ज पर राज्य में बीजू स्वास्थ्य कल्याण योजना लागू कर दी थी। तेलंगाना ने भी इस योजना से खुद को अलग कर लिया है। 

आयुष्मान लाभार्थियों को पीएम की फोटो वाले पत्र भेजे जाने के बाद पश्चिम बंगाल सरकार ने भी पिछले हफ्ते इस योजना को राज्य में खत्म कर दिया। 

दिल्ली में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी इस योजना को राज्य में लागू नहीं कर रहे हैं।