सुप्रीम कोर्ट में एक मामले की सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि अर्जेंट केस की सुनवाई के लिए जल्द नए नियम बनाया जाएगा। नए नियम के तहत जल्द सुनवाई के लिए ओरल मेंशनिंग की जरूरत नही होगी। सुप्रीम कोर्ट में केस दायर होने के बाद 4-5 दिन के अंदर ही केस सुनवाई के लिए आ जायेगा। 

मुख्य न्यायधीश के मुताबिक ओरल मेंशनिंग के चलते 20-25 मिनट यूं ही गुजर जाते हैं। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने पद संभालते ही कहा था कि अब मामले की तत्काल सुनवाई के नियम तय कर दिया गया है।

उन्होंने कहा था कि कोई फांसी पर चढ़ने वाला है या किसी को उसके घर से बेदखल कर दिया गया है, तो ऐसे ही मामलों में तत्काल सुनवाई होगी। गोगोई ने कहा था अर्जेंट मैटर का मतलब अर्जेंट मैटर ही होना चाहिए। 

चीफ जस्टिस ने जजों के काम के बंटवारे का नया रोस्टर भी जारी कर दिया था। चीफ जस्टिस खुद जनहित, चुनाव, कोर्ट की अवमानना, सामाजिक न्याय, आपराधिक मामले और संवैधानिक पदों पर नियुक्ति से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई खुद करते है। 

जस्टिस गोगोई ने यह भी साफ कर दिया था कि कोर्ट नंबर 2 यानी दूसरे नंबर के जज उन्हीं जनहित याचिकाओं को सुनेंगे जो मुख्य न्यायाधीश भेजेंगे। अब मुख्य न्यायाधीश ने एक बार फिर नए नियम बनाने की बात को दोहराई है।
 
उन्होंने यह बातें एम एल शर्मा की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान कही है। गौरतलब है कि एम एल शर्मा ने भारतीय रिज़र्व बैंक के कैपिटल रिज़र्व के संबंध में वित्त मंत्री अरुण जेटली के खिलाफ आरोपों वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया था, और 50 हजार रुपये जुर्माना लगाया था।

 शर्मा ने वित्त मंत्री जेटली पर आरबीआई के कैपिटल रिज़र्व में लूट का आरोप लगाया था।