नई दिल्ली। चालाक चीन ने पहली बार माना की गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई झड़प में उनके सैनिकों की मौत हुई है। लेकिन हमेशा साजिशों को अंजाम देने वाले चीन ने एक बार फिर सैनिकों की संख्या को जगजाहिर नहीं किया है।  चीन के राजदूत ने माना है कि झड़प में चीनी सैनिकों की भी मौत हुई है लेकिन उन्होंने चीनी सैनिकों की संख्या को नहीं बताया। वहीं दावा किया जा रहा है गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प में चीन के 45 से ज्यादा सैनिकों की मौत हुई है।

चीन की साजिशों से पूरी दुनिया वाकिफ हो चुकी है और चीन हमेशा से ही सच्चाई को छिपाता है। लेकिन अब यही छिपाने की आदत ने उसे मुश्किलों में डाल दिया है।  क्योंकि चीन में मारे गए सैनिकों के परिवार के लोगों ने चीनी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और वह सैनिकों का सम्मान चाहते हैं। क्योंकि गलवान घाटी में हुई झड़प में भारत के 20 सैनिक शहीद हुए थे और भारत सरकार ने इस बात को माना था। लेकिन चीन की सरकार अभी भी मारे गए सैनिकों के  बारे में चीन के ही लोगों को नहीं दे रही है।

चीन की जिनपिन सरकार पर लोगों का दबाव बढ़ता ही जा रहा है और वह मारे गए सैनिकों को सम्मान देने की मांग कर रहे हैं। वहीं चीन ने अभी तक सैनिकों की संख्या को किसी को नहीं बताया है। वहीं अब 10 दिनों से ज्यादा होने के बाद भारत में चीन के राजदूत सुन वेडोंग ने माना है कि भारत और चीनी सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प में चीन के सैनिक मारे गए हैं। लेकिन उन्होंने भी संख्या को बताने से इंकार कर दिया है। समाचार एजेंसी पीटीआई को दिए एक इंटरव्यू में वेडोंग ने माना कि दोनों पक्षों के बीच भयंकर शारीरिक संघर्ष हुआ और दोनों तरफ के सैनिकों को नुकसान पहुंचा। वहीं उन्होंने दावा किया कि इस झड़प में चीन के भी सैनिक  हताहत हुए हैं।

हालांकि मीडिया में ये दावा किया जा रहा है गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प में चीन के 45 से ज्यादा सैनिक मारे गए हैं। हालांकि विदेश मीडिया दावा कर रही है कि चीन के 25  से ज्यादा सैनिक  मारे गए हैं। असल में ऐसा पहली बार नहीं है जब चीन अपने मारे गए सैनिकों की संख्या को नहीं बता रहा है। जब सन् 1962 को भारत और चीन के बीच में युद्ध हुआ था तो उस वक्त भी चीन ने सैनिकों की संख्या को नहीं बताया था और इसकी जानकारी चीन ने 1990 के बाद दी थी