नई दिल्ली। दुनिया भर को कोरोना संकट में डालने वाले चीन को बड़ा झटका लगा है। क्योंकि यूरोपीय देशों ने चीन को अपने दरवाजे से लौटा दिया है और चीन की इन देशों को साधने की कोशिश  सफल नहीं हुई है। असल में चीन के विदेश मंत्री पांच दिवसीय दौरे पर यूरोपीय देशों से मिलने के लिए गए थे, लेकिन चीनी विदेश मंत्री वांग यी को इसमें कोई सफलता नहीं मिली। यूरोपीय देशों ने चीन की बलपूर्वक कूटनीति को दुनिया के लिए घातक बताया है।

फिलहाल दुनिया चीन की साजिश को समझ चुकी है। यूरोपीय देश चीन के साथ अपने संबंधों पर फिर सोच विचार कर रहे हैं। वहीं चीन के साथ संबंधों के खराब होने के बाद चीन को आर्थिक तौर पर नुकसान हो रहा है। लिहाजा चीन के विदेश मंत्री यूरोपीय देशों के दौरे पर निकले। चीनी विदेश मंत्री ने रोम से अपने आधिकारिक दौरे की शुरुआत की और इसके बाद वह कनाडा व इटली भी गए। लेकिन इन देशों ने चीनी विदेश मंत्री को भाव नहीं दिया। बताया  जा रहा है कि चीन और कनाडा के बीच रिश्ते खराब हो गए हैं और कनाड़ा चीन के साथ व्यापारिक रिश्तों को अब सुधारना नहीं चाहता है।  वहीं नार्वे भी चीन के साथ अपने रिश्तों को लेकर फिर से विचार कर रहा है।

नॉर्वे और चीन के बीच रिश्तों में उस वक्त दरार आ गई थी जब चीनी कार्यकर्ता लियू लियू शियाओबो को नोबल शांति पुरस्कार दिया गया था और इस बात को लेकर चीन भी नार्वे से नाराज था। वहीं बर्लिन में वांग ने ताइवान के मुद्दे को भी उठाया। कुछ समय पहले चीन के विदेश मंत्री ने कहा था कि चेक गणराज्य के सीनेट अध्यक्ष मिलो विस्ट्रमिसिल को ताइवान दौरा करना मंहगा पड़ेगा। असल में चीन ताइवान को अपना प्रांत बताता है। जबकि दुनिया के सभी देशों ने ताइवान को देश की मान्यता दी है।