फिलहाल भारत सरकार चीन से होने वाले आयात को नीचे धकेलने में कामयाब रही है और देश में अब कई उपकरण भारत में निर्मित किए जा रहे हैं। जो जानकारी सामने आई है उसके मुताबिक बिजली क्षेत्र में वार्षिक चीनी आयात 17,289 करोड़ रुपये (2009-2010) में था जो 19,682 करोड़ रुपये (2017-2018) में बढ़कर हो गया।
नई दिल्ली। भारत चीन को और बड़ा झटका देने जा रहा है। भारत चीन समेत कई देशों से ऊर्जा और प्रसारण उपरकरण आयात को बंद करने की दिशा में काम कर रहा है। फिलहाल केन्द्रीय ऊर्जा मंत्रालय महत्वपूर्ण ऊर्जा और प्रसारण उपकरण बनाने के लिए पूरे देश में तीन विनिर्माण केंद्र स्थापित करने की योजना पर काम कर रहा है। ताकि चीन से आयात को कम किया जा सके। जानकारी के मुताबिक 2018-2019 में भारतीय बिजली क्षेत्र ने 71,000 करोड़ रुपये के उपकरणों का आयात किया और इसमें से 21,235 करोड़ रुपये का आयात चीन से हुआ। इसके कारण देश की घरेलू उद्योग को बड़ा नुकसान पहुंचा है।
फिलहाल भारत सरकार चीन से होने वाले आयात को नीचे धकेलने में कामयाब रही है और देश में अब कई उपकरण भारत में निर्मित किए जा रहे हैं। जो जानकारी सामने आई है उसके मुताबिक बिजली क्षेत्र में वार्षिक चीनी आयात 17,289 करोड़ रुपये (2009-2010) में था जो 19,682 करोड़ रुपये (2017-2018) में बढ़कर हो गया। फिलहाल केन्द्र सरकार को चीन को झटका देने के लिए विशेष रूप से चीन से आत्मनिर्भर होने और आयात में कटौती करने के लिए दो सूचियां तैयार की हैं। इसके तहत पहली अनिवार्य सूची में 239 वस्तुएं रखी गई है जिसका निर्माण भारत में नहीं होता है जबकि दूसरी सूची में उन उत्पादों को रखा गया है जिसका निर्माण देश में किया जाता है और देश में इसका अधिक निर्माण किया जा सकता है।
भारत सरकार इन उत्पादों पर फोकस कर रही है और बिजली क्षेत्र की कंपनी, पीएसयू या निजी, को एम्बार्गो सूची में आइटम आयात करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। इन उत्पादों को देश में बनाने के लिए कार्य किया जाएगा। फिलहाल बिजली मंत्रालय ने पहले ही प्रमुख सार्वजनिक उपक्रमों जैसे एनटीपीसी, एनएचपीसी, पीजीसीआई और बिजली क्षेत्र के संगठनों को न्यूनतम और घरेलू क्षमता बढ़ाने के लिए प्रस्ताव सरकार को दिया है।
Last Updated Nov 7, 2020, 10:50 AM IST