सुप्रीम कोर्ट ने बायोमेट्रिक पहचान पत्र को बैंक खाते, मोबाइल और स्कूल में नामांकन के लिए अनिवार्य करने जैसे प्रावधानों को हटा दिया है।
आधार योजना को संवैधानिक रूप से वैध करार देने और इसके कुछ प्रावधानों को हटाने से पहले आधार को लेकर महत्वपूर्ण घटनाक्रम इस प्रकार रहा। सुप्रीम कोर्ट ने बायोमेट्रिक पहचान पत्र को बैंक खाते, मोबाइल और स्कूल में नामांकन के लिए अनिवार्य करने जैसे प्रावधानों को हटा दिया है।
जनवरी 2009 : योजना आयोग ने यूआईडीएआई को अधिसूचित किया।
2010-2011 : भारतीय राष्ट्रीय पहचान प्राधिकरण विधेयक, 2010 की शुरुआत।
नवम्बर 2012 : सेवानिवृत्त न्यायाधीश के एस पुट्टास्वामी और अन्य ने आधार की वैधता को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिकाएं दायर कीं।
नवम्बर 2013 : सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों को प्रतिवादी बनाया।
तीन मार्च, 2016 : आधार विधेयक, 2016 को लोकसभा में पेश किया गया, बाद में यह धन विधेयक के तौर पर पारित हुआ।
मई 2017 : पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाकर आधार विधेयक को धन विधेयक के तौर पर माने जाने के केंद्र के निर्णय को चुनौती दी।
24 अगस्त 2017 : सुप्रीम कोर्ट की नौ सदस्यीय पीठ ने फैसला दिया कि निजता का अधिकार मूलभूत अधिकार है।
15 दिसम्बर : सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न सेवाओं और कल्याण योजनाओं को आधार से आवश्यक रूप से जोड़ने के लिए समय सीमा 31 मार्च 2018 बढ़ाई।
17 जनवरी 2018 : सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ ने आधार मामले की सुनवाई शुरू की।
25 जनवरी : सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय से कहा कि अपने आदेश में दस दिनों के अंदर संशोधन करे जिसमें उसने राज्य की निचली अदालतों में आरोपी को जमानत पर रिहा करने के लिए आधार कार्ड की प्रति को स्वीकार करना अनिवार्य बना दिया था।
19 फरवरी : दिल्ली भाजपा के नेता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने चुनाव आयोग को निर्देश देने की मांग की कि ‘आधार आधारित चुनाव प्रक्रिया’ को लागू करने के लिए उचित कदम उठाया जाए।
21 फरवरी : सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आधार योजना के तहत नागरिकों का बायोमेट्रिक ब्यौरा बिना किसी कानून के एकत्रित किये जाने संबंधी कथित कमी को कानून लाकर ठीक किया जा सकता है।
सात मार्च : सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अखिल भारतीय परीक्षाओं में छात्रों के पंजीकरण के लिए आधार नंबर अनिवार्य नहीं है।
13 मार्च : सुप्रीम कोर्ट ने आधार से योजनाओं को जोड़ने की समय सीमा 31 मार्च से अगले आदेश तक के लिये बढ़ाई।
22 मार्च : यूआईडीएआई के सीईओ ने कहा कि आधार इन्क्रिप्शन को तोड़ने में ‘दुनिया के सबसे तेज कंप्यूटर को ब्रह्मांड के जीवनकाल से ज्यादा समय लग जाएगा।’
28 मार्च : सामाजिक कार्यकर्ता रेशमा प्रसाद ने केंद्र को निर्देश देने की मांग की किन्नरों के लिए पैन कार्ड की लिंग श्रेणी में अलग तीसरे लिंग का प्रावधान किया जाए।
तीन अप्रैल : केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि आधार कानून उचित, निष्पक्ष और तर्कसंगत है।
17 अप्रैल : सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई कि आधार आंकड़े के दुरूपयोग का खतरा है।
25 अप्रैल : सुप्रीम कोर्ट ने आधार को मोबाइल नंबर से आवश्यक रूप से जोड़े जाने पर सवाल उठाए।
दस मई : सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा।
26 सितम्बर : सुप्रीम कोर्ट ने आधार की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा लेकिन कुछ प्रावधानों को हटा दिया जिसमें इसे बैंक खातों, मोबाइल फोन और स्कूल नामांकन से जोड़ा जाना शामिल है।
Last Updated Sep 26, 2018, 5:05 PM IST