देश के मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ एक महिला के यौन उत्पीड़न का मामला शनिवार को सुप्रीम कोर्ट की विशेष बेंच के सामने पहुंचा. बेंच में मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि यौन उत्पीड़ने के मामले में अगली सुनवाई एक अन्य बैंच करेगी जिसमें खुद मुख्य न्यायाधीश नहीं होंगे.

वहीं कोर्ट के सामने पहुंचे मामले पर तीन जजों की इस खास बेंच ने कहा कि देश में न्यायपालिका की स्वतंत्रता बेहद गंभीर खतरे में है. वहीं खुद इन आरोपों को निराधार करार देते हुए मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि देश में कुछ बड़ी ताकतें सुप्रीम कोर्ट के काम को प्रभावित करने के लिए निराधार आरोपों का सहारा लेकर षणयंत्र रच रहे हैं. 

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि दरअसल अगले हफ्ते उनकी कोर्ट के सामने बेहद अहम मामले सुनवाई के लिए आ रहे हैं और इस षणयंत्र के सहारे ये ताकतें सुप्रीम कोर्ट के काम को बाधित करने की कवायद में लगी हैं. कुछ वेबपोर्टल पर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई पर एक पूर्व सुप्रीम कोर्ट स्टाफ द्वारा लगाए गए यौन शोषण के आरोपों के बाद आज चीफ जस्टिस की कोर्ट में विशेष बेंच बैठी।

बेंच की अध्यक्षता कर रहे चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि  ये अब तक स्वतंत्र रही न्यापालिका की आजादी को बाधित करने की कोशिश है। मैं इस देश के लोगों को कह देना चाहता हूँ कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर बड़ा खतरा है। अगर इस तरह से जजों को टारगेट किया जाता रहेगा तो अच्छे लोग जज नहीं बनेंगे।

जस्टिस गोगोई ने कहा कि इस साजिश में सिर्फ महिला शामिल नहीं है, बल्कि कुछ बड़ी ताकते भी है। मुझे अगले हफ़्ते अहम मामले सुनने है, और ये कोशिश है कि उन मामलो की सुनवाई न हो सके। लेकिन मैं बिना पक्षपात और डर के अपनी जिम्मेदारी कार्यकाल निभाता रहूंगा।

चीफ जस्टिस ने कहा कि 20 साल निस्वार्थ सेवा देने के बाद इस तरह के आरोप झेलने पड़ रहे है, विश्वास नहीं होता। 20 साल बाद मेरे बैंक खाते में 6 लाख 80 हज़ार रुपये है।40 लाख मेरे पीएफ खाते में है।ये मेरी कुल जमा सम्पति है।जब वो मेरी सम्पति को लेकर सवाल नहीं उठा सकते, तो ऐसे आरोप लगा रहे है। 20 साल की सेवा के बाद 6 लाख 80 हज़ार की रकम खाते में रखने का मुझे ये इनाम मिला है।

कोर्ट में मौजूद अटॉनी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा कि सरकार का बचाव करने की अपनी जिम्मेदारी को निभाने के चलते उन्हें भी टारगेट किया। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि अगर जजों पर इस तरह से हमले होते रहे तो कोई जज केस ही नहीं सुनेगा। एक जज पास उसका सिर्फ सम्मान होता है, उसे भी टारगेट किया जा रहा है।

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में हर कमर्चारी के साथ सम्मान से पेश आया जाता है। ये महिला यहां करीब डेढ़ महीने थी। मैं उसके आरोपों का भी जवाब नहीं देना चाहता क्योंकि इस महिला का आपराधिक इतिहास है। उसके खिलाफ दो एफआईआर है। वो क्रिमिनल बैक ग्राउंड के साथ कैसे सुप्रीम कोर्ट में एंट्री कैसे कर पाई, इसको लेकर दिल्ली पुलिस से पूछताछ की गई है। उसके पति के खिलाफ भी दो एफआईआर है। महिला पहले गिरफ्तार भी हो चुकी है, और अभी ज़मानत पर है। उसकी ज़मानत खारिज करने के लिए सरकार ने पटियाला हाउस कोर्ट में अर्जी दायर की है।

बेंच के दूसरे सदस्य जस्टिस अरुण मिश्रा ने भी कहा कि अगर सिस्टम से ही विश्वास ख़त्म हो जायेगे, तो हम कैसे काम करेंगेष। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने कोई आदेश पास नहीं किया, मीडिया रिपोर्टिंग पर बैन नही लगाया, पर मीडिया को नसीहत दी कि वो जिम्मेदारी से ड्यूटी का निर्वहन करे। न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर कोई आंच न आये, इसके लिए बिना तथ्यों की पुष्टि के महज आरोप ना छापे।