कोलंबो: श्रीलंका में मुस्लिम समुदाय से आने वाले नेताओं के विरोध में बौद्ध भिक्षु अतुरालिए रतना थिरो भूख हड़ताल पर बैठ गए। वह मुस्लिम मंत्री रिशाद बाथिउद्दीन और दो गवर्नरों एएलएएम हिज्बुल्लाह तथा अजत सैली के इस्तीफे की मांग कर रहे थे। 

भिक्षु रतना थिरो का आरोप था कि इन सभी ने कथित रुप से श्रीलंका में हुए आत्मघाती हमले के जिम्मेदार नेशनल तौहीद जमात का समर्थन किया था। 

जिसके बाद इन तीनों को इस्तीफा देना पड़ा। इसके अलावा खबर है कि नौ और मुस्लिम मंत्रियों का इस्तीफा ले लिया गया है।  

श्रीलंका सरकार के आधिकारिक बयान के मुताबिक इन सभी का इस्तीफा इसलिए लिया गया है क्योंकि इन सभी के खिलाफ चरमपंथी संगठनों से संबंध रखने के आरोपों की जांच की जा सके। 
इन सभी के विरोध में भूख हड़ताल पर बैठे बौद्ध भिक्षु रतना थिरो प्रधानमंत्री रानिल विक्रमासिंघे की पार्टी यूएनपी के सांसद भी हैं। 

रतना थिरो श्रीलंका के धार्मिक शहर कैंडी के दलादा मालिगवा के बौद्ध मंदिर में ही  आमरण अनशन कर रहे थे। 

इन मुस्लिम राजनेताओं का विरोध कर रहे बौद्ध समुदाय के लोग इसलिए नाराज थे। क्योंकि सरकार में शामिल यह सभी राजनेता 21 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले के बाद देश में मुस्लिम समुदाय के खिलाफ नाराजगी के खिलाफ लगातार आवाज उठा रहे थे। 

बौद्ध भिक्षु और सांसद रतना थिरो का आरोप है कि वरिष्ठ नेता और श्रीलंका के उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री रिशथ बाथिउद्दीन के संबंध स्थानीय इस्लामिक चरमपंथी समूह नेशनल तौहीद जमात से हैं और वह उसे समर्थन देते हैं। 

श्रीलंका की कुल 2.1 करोड़ आबादी में मुसलमानों की जनसंख्या 9 फीसदी है। 21 अप्रैल को ईस्टर के मौके पर आतंकी संगठन तौहीद जमात के आतंकवादियों ने हमला किया था। जिसमें 258 लोगों की मौत हो गई। 

जिसकी वजह से श्रीलंका में पूरी मुस्लिम आबादी शक के घेरे में है। उन्हें वहां की बहुसंख्यक बौद्ध आबादी का विरोध झेलना पड़ रहा है। 

श्रीलंका की संसद में 225 सदस्य होते हैं। जिसमें से 19 मुस्लिम थे। इसमें से 9 लोगों के पास कैबिनेट, राज्य और उपमंत्री के पद थे। लेकिन अब इन सभी ने इस्तीफा दे दिया है। 

श्रीलंका में आतंकवादी हमले के बाद 23 अप्रैल से आपातकाल लगा हुआ है। जिसे हाल ही में एक महीने के लिए और बढ़ा दिया गया है।