तेजिंदर और शेहला के बीच विवाद की जड़ 2016 की एक घटना बनी। जिसमें बेंगलुरु की एक महिला डॉ.ज्वाला गुरुनाथ और बग्गा के बीच विवाद हुआ था। यह मामला अदालत की चौखट तक पहुंच गया। 

दोनों के बीच जो केस दर्ज हुआ वह एससी-एसटी एक्ट के तहत दर्ज हुआ था। लेकिन इसमें अदालत ने तेजिंदर को बेगुनाह करार दिया था। 

लेकिन जब 2018 में मी-टू कैंपेन शुरु हुआ तो शेहला ने दो साल पुराने इस विवाद को महिला शोषण मामले के रंग में ढालने की कोशिश की और बग्गा पर कई तरह के आरोप लगाए। शेहला ने ट्वीट्स के जरिए तेजिंदर को महिलाओं का शोषणकर्ता साबित करने की कोशिश की। 

इसका विरोध करते हुए तेजिंदर पाल सिंह बग्गा ने शेहला रशीद के उपर मानहानि का दावा कर दिया है। 

बग्गा ने इसे अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बताया है। उनका कहना है कि यह मामला पैसे से ज्यादा सम्मान का है। इसलिए बग्गा ने शेहला पर मात्र एक रुपए की मानहानि का दावा किया है।