राजस्थान से 10 सांसद राज्यसभा में हैं। ये सभी सांसद भाजपा के हैं। लेकिन अगले डेढ़ साल के बाद जब राजस्थान में राज्यसभा की सीटें खाली होंगी तो इसमें कांग्रेस बाजी मारेगी। हालांकि इसके लिए कांग्रेस को करीब डेढ़ साल का इंतजार करना पड़ेगा। राजस्थान से कांग्रेस राज्यसभा में 2020 में अपना खाता खोल पाएगी। इस स्थिति में पहली बार कांग्रेस अपने एक नेता को राज्यसभा में पहुंचा सकती है।
तीन राज्यों में सत्ता बदलने ही केन्द्र सरकार को अब राज्यसभा में फिर से कांग्रेस से चुनौती मिलेगी। हालांकि कांग्रेस के संख्याबल में ज्यादा बदलाव नहीं आयेगा। लेकिन भाजपा के सांसद की संख्या कम होगी, तो कांग्रेस की बढ़ेगी। राजस्थान से कांग्रेस एक सदस्य आसानी से बढ़ा सकेगी। जबकि दूसरी सीट के लिए उसे सहयोगी दलों से समर्थन लेना होगा। जाहिर है इससे कांग्रेस को राज्यसभा में ज्यादा मजबूत मिलेगी। राज्यसभा में कांग्रेस की सरकार के दौरान उसे राज्यसभा की चार सीटों पर फायदा होगा।
राजस्थान में सत्ता परिवर्तन के साथ ही कांग्रेस का राज्यसभा में दखल भी धीरे-धीरे फिर से बढ़ जाएगा। बहरहाल राज्य सभा में कांग्रेस का सांसदों का संख्या बल 50 तो भाजपा के राज्यसभा में 73 सांसद हैं। इसमें राजस्थान से 10 सांसद राज्यसभा में हैं। ये सभी सांसद भाजपा के हैं। लेकिन अगले डेढ़ साल के बाद जब राजस्थान में राज्यसभा की सीटें खाली होंगी तो इसमें कांग्रेस बाजी मारेगी। हालांकि इसके लिए कांग्रेस को करीब डेढ़ साल का इंतजार करना पड़ेगा।
राजस्थान से कांग्रेस राज्यसभा में 2020 में अपना खाता खोल पाएगी। इस स्थिति में पहली बार कांग्रेस अपने एक नेता को राज्यसभा में पहुंचा सकती है। जबकि भाजपा को दो सीटों का नुकसान होगा। हालांकि विधायकों की मौजूदा स्थिति को देखते हुए यही लग रहा है। असल में 2020 में भाजपा के तीन सांसदों का समय खत्म होगा। इसमें केंद्रीय मंत्री विजय गोयल, नारायण लाल पंचारिया एवं रामनारायण डूडी का नाम प्रमुख है। इन सासंदों का राज्य सभा सदस्य के तौर पर कार्यकाल अप्रैल 2020 में खत्म होगा। ऐसे में संख्या बल को देखते हुए कांग्रेस को फायदा होगा।
राज्य सभा की इन तीन सीटों के लिए चुनाव कराए जाएंगे। विधानसभा में पार्टियों की मौजूदा स्थिति के अनुसार कांग्रेस एवं भाजपा का एक-एक सदस्य चुना जाना तय है। तीसरी सीट को लेकर संशय की स्थिति रहेगी, लेकिन सत्ताधारी पक्ष भारी रहेगा। लेकिन सभी विपक्षी दल एकजुट हो गए तो कांग्रेस अपने एक और नेता को राज्यसभा में भेजने में सफल होगी।
राज्य में अगले पांच साल के दौरान राज्य सभा की 7 सीटों पर ही चुनाव संभावित हैं। तीन सीटों पर पहला चुनाव वर्ष 2020 तो 2022 में राज्य सभा सदस्य एवं केंद्रीय मंत्री केजे अल्फोंस, ओम प्रकाश माथुर, रामकुमार वर्मा एवं हर्षवर्धन सिंह डूंगरपुर का कार्यकाल पूरा होगा। जबकि तीन सीटों पर चुनाव 2024 को को होगा। लिहाजा यह तीन सदस्य को इस सरकार के कार्यकाल में कोई खतरा नहीं रहेगा। इसमें डा. किरोड़ी लाल मीणा, भूपेंद्र यादव एवं भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन लाल सैनी शामिल हैं।
Last Updated Dec 16, 2018, 11:31 AM IST