अभी तक सपा और बसपा के साथ गठबंधन की उम्मीदों के साथ चल रही कांग्रेस अब इन दोनों दलों के खिलाफ अपनी रणनीति को आक्रामक करेगी. क्योंकि लोकसभा चुनाव में पार्टी को भाजपा के साथ ही इन दोनों दलों के साथ चुनावी मुकाबला करना होगा. हालांकि सपा और बसपा ने अपनी दोस्ती निभाते हुए और भविष्य की संभावनाओं को देखते हुए अमेठी और रायबरेली में अपने प्रत्याशी नहीं उतारे हैं. लेकिन कांग्रेस दोनों के खिलाफ अपनी रणनीति में बदलाव नहीं करेगी. 

लोकसभा चुनाव के मद्देनजर सपा-बसपा के गठबंधन के ऐलाने के बाद अब कांग्रेस की रणनीति क्या होगी. सभी की नजर इस पर है. अभी तक कांग्रेस गठबंधन में शामिल होने की उम्मीद कर रही थी. क्योंकि राजस्थान और मध्य प्रदेश में सपा और बसपा कांग्रेस की सरकार को समर्थन दे रही है. कांग्रेस को उम्मीद थी कि उत्तर प्रदेश में गठबंधन बन जाने के बाद अन्य राज्यों में इसकी संभावनाएं बन सकती थी. लेकिन सपा-बसपा ने सभी संभावनाओं पर पानी फेर दिया.

अब कांग्रेस को राज्य में अकेले चुनाव लड़ना पड़ेगा या फिर छोटे दलों क साथ गठबंधन बनाकर चुनाव लड़ना होगा. इस चुनाव में अभी तक कांग्रेस के मुख्य मुकाबला भाजपा के साथ था, लेकिन अब सपा-बसपा के गठबंधन से भी उसका मुकाबला होगा. जिसके कारण कांग्रेस की जीतने की संभावनाएं कम होगी. राज्य में कांग्रेस के पास कार्यकर्ताओं से ज्यादा नेताओं की कतार है और पार्टी के पास महज तीन राज्यों में सरकार बनाने का उत्साह है. 

हालांकि राज्य में कांग्रेस के ज्यादातर नेताओं का कहना था कि पार्टी को अकेले चुनाव लड़ना चाहिए क्योंकि राज्य में कांग्रेस का कार्यकर्ता काफी सक्रिय हो गया है और वह 2009 के लोकसभा चुनाव के परिणाम के आसपास सीटें ला सकती है. 2009 में कांग्रेस ने राज्य में लोकसभा की 20 सीटें जीतीं थी. अब राज्य में कांग्रेस के सामने पहले तो संगठन को खड़ा करने की समस्या है. क्योंकि राज्य में कई गुट हैं और वर्तमान अध्यक्ष राज बब्बर राष्ट्रीय राजनीति में आना चाहते हैं और राज्य में उनकी सक्रियता कम हुई है.

लिहाजा राज्य की कमान पीएल पूनिया या फिर किसी ब्राह्मण नेता को देने की चर्चा चल रही है. लिहाजा इससे लिए कांग्रेस अब तेवर बदलने की रणनीति बना रही है. इसके लिए विशेष रणनीति पर काम चल रहा है. कांग्रेस जल्द ही विभिन्न दलों में असंतुष्टों अपने पाले में लाकर इन दोनों दलों की मुश्किलें बढ़ाने की दिशा में काम कर रहा है, उनके लिए बड़े ऐलान कर सकती है.

ऐसा माना जा रहा है कि अब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी सीधे तौर पर प्रदेश के चुनावी समीकरण अपनी नजरों पर रखेंगे. पार्टी के वार रूम में बैठे उनकी रैलियों को अमली जामा पहना रहे हैं. सपा और बसपा की तरह कांग्रेस की मुस्लिम बहुल इलाकों में फोकस कर रही है. क्योंकि केन्द्र सरकार की नीतियों से मुस्लिमों को खौफ दिखाया जा सकता है और मुस्लिम कांग्रेस का पुराना समर्थक रहा है.

इसके साथ खेती-किसानी के मामलों पर भी कांग्रेस के नेताओं की नजर है. पार्टी का मानना है कि सपा और बसपा के गठबंधन की काट उसे पहले निकालनी पड़ेगी क्योंकि वह अभी तक इसी वर्ग में फोकस कर रही थी. जबकि भाजपा आने वाले समय में कई कल्याणकारी नीतियों को शुरू कर सकती है. कुल मिलाकर पार्टी राहुल गांधी को आगे कर चुनाव के लिए रणनीति बना रही है. वहीं छोटे दलों के साथ भी कांग्रेस आगे की रणनीति बनाने की दिशा में काम कर रही है.