कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की ओर से पुनर्गठन किए जाने के बाद कांग्रेस कार्यसमिति की रविवार को पहली बैठक हुई। नई दिल्ली में हुई बैठक में 2019 के लोकसभा चुनावों को लेकर गहरी मंत्रणा हुई। बैठक का एजेंडा 2019 से पहले 'महागठबंधन' को आकार देने और इसका नेतृत्व करने के लिए कांग्रेस की ओर से किए जाने वाले प्रयासों पर केंद्रित था। 

सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस अगले आम चुनाव में अपने दम पर 150 सीटें जीतने के लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित कर रही है। 'माय नेशन' को भरोसेमंद सूत्रों से पता चला है कि वरिष्ठ पार्टी नेता पी चिदंबरम ने इसके लिए कई कारण गिनाए हैं। बैठक में उन्होंने कहा कि 15 राज्य ऐसे हैं, जहां कांग्रेस अपनी क्षमता तीन गुना बढ़ा सकती है। शेष राज्यों के लिए उसे क्षेत्रीय दलों के साथ 'रणनीतिक गठबंधन' बनाना चाहिए। 

सचिन पायलट और रमेश चेनीथाला ने इस सुझाव का समर्थन किया, लेकिन कहा कि कांग्रेस को ही गठबंधन का नेतृत्व करना होगा। ऐसा समझा जाता है कि दोनों ने बैठक में कहा कि राहुल को ही महागठबंधन का चेहरा होना चाहिए। 

शुक्रवार को लोकसभा में नरेंद्र मोदी के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव में करारी शिकस्त खाने के बाद पहली बार सीडब्ल्यूसी की बैठक हुई। लोकसभा में पीएम नरेंद्र मोदी ने एक घंटे लंबे भाषण में कांग्रेस पर तीखा प्रहार किया था। इसे कई लोगों ने 'मोदी का धोबी पछाड़' बताया।

रविवार की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सीधे तौर पर कोई जिक्र नहीं हुआ, लेकिन एक से ज्यादा नेताओं ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की विचारधारा का हवाला दिया और इसे परास्त करने की जरूरत बताई। यूपीए की चेयरपर्सन और पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अपने भाषण में कहा कि क्षेत्रीय दलों को अपने निजी हितों को छोड़कर महागठबंधन में शामिल होना चाहिए। 2019 में मोदी को रोकने का यही एकमात्र तरीका है। 

पीएल पुनिया और भूपेश बघेल ने भीड़ द्वारा की जा रही हत्याओं का मामला उठाते हुए कहा कि इसे मुद्दा बनाने के लिए रणनीति तैयार करने की जरूरत है। 

हालांकि सीडब्ल्यूसी की बैठक में राहुल के करीबी सहयोगी दिग्विजय सिंह आमंत्रण दिए जाने के बाद भी नहीं पहुंचे। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि वह मध्य प्रदेश कांग्रेस और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी में कद घटाए जाने से नाराज हैं और इसीलिए नहीं आए। पार्टी के एक अन्य बड़े नेता जनार्दन द्विवेदी भी न्यौता दिए जाने के बावजूद कार्यसमिति की बैठक में नहीं पहुंचे।