लगभग सवा सौ साल पुरानी महान कांग्रेस पार्टी जबरदस्त कंगाली का शिकार होती दिख रहा है। हालांकि यहां पहले कभी भी पैसे की कोई समस्या नहीं थी। लेकिन अब यहां अनियमित व्यय की जांच के लिए 'ऑस्टेरिटी मेजर्स कमिटी’ का गठन किया है। इस समिति की सिफारिश पर पार्टी के कोषाध्यक्ष मोतीलाल वोहरा ने दैनिक दिशानिर्देशों की एक श्रृंखला जारी कर दी है। दिलचस्प बात यह है कि, हालांकि मितव्ययिता का यह निर्देश अब जाकर सामने आया है। लेकिन इसपर अमल पहले से ही शुरु हो गया था। 

फ्लाइट नहीं ट्रेन :  

सभी संगठन सचिवों को निर्देश दिया गया है, कि अगर उन्हें 1400 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय नहीं करनी है, तो वह फ्लाइट की बजाए ट्रेन से सफर करें। 

यानी कि अगली बार जब किसी कांग्रेस सचिव को लखनऊ से दिल्ली या मुंबई से चेन्नई जाना हो, तो नए निर्देशों के मुताबिक उन्हें उड़ान भरने की इजाजत नहीं दी जाएगी। 

लेकिन इस नियम में भी शर्तें लागू हैं। रेलवे की प्रीमियम पॉलिसी के कारण, यदि ट्रेन किराया हवाई किराया से अधिक है, तो उन्हें इकॉनोमी क्लास की उड़ान की इजाजत होगी। इसके अलावा, कांग्रेस अपने 56 सचिवों को एक महीने में दो से अधिक हवाई यात्राओं का खर्च की इजाजत नहीं देगी। इसके अलावा इन सचिवों को उन्हीं राज्यों में डेरा डालने को कहा गया है, जिस राज्य की जिम्मेदारी उनके पास है। 

यात्रा भत्ते की मनाही :

जबकि 'ट्रेन से यात्रा करने की  नीति’ महासचिवों और राज्य प्रभारियों पर लागू नहीं होती है, लेकिन इसमें भी जो लोग संसद सदस्य भी हैं, उन्हें यात्रा भत्ता नहीं दिया जाएगा। ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) में 12 महासचिव हैं। उनमें से 4 संसद सदस्य हैं: खुद मोतीलाल वोरा, अंबिका सोनी, गुलाम नबी आजाद और केसी वेणुगोपाल। 13 राज्य प्रभारियों में से 2 सांसद हैं: पीएल पुनिया और राजीव शंकरराव साटव। संसद के इन सभी सदस्यों को यात्रा भत्ता नहीं दिया जाएगा। 

कैंटीन का खर्च कम करने और कंप्यूर को बंद रखने की सलाह :

जी हां इस निर्देश में यह भी कहा गया है, कि कैंटीन पर होने वाले खर्च को कम किए जाने की जरुरत है। समाचार पत्रों या पत्रिकाओं पर व्यय को भी कम किया जाना चाहिए। इस निर्देश में कहा गया है, कि सभी विभाग प्रमुख अब अपने विभाग से एक व्यक्ति को नामित करेंगे, जो एकाउंट्स ऑफिसर को हर सप्ताह होने वाले खर्च के बारे में जानकारी देगा। 

इस निर्देश में यह भी कहा गया है, कि  "जब कार्यालय से बाहर हों तो, बिजली बचाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक सामान को बंद कर दिया जाना चाहिए"। 

एक कांग्रेस प्रवक्ता ने माइ नेशन ने नाम न छापने की शर्त पर माय नेशन को यह जानकारी दी, कि पिछले कुछ महीनों से आ रहा भारी बिजली बिल ने यह कदम उठाने के लिए मजबूर किया। वास्तव में, उन लोगों के लिए यह अच्छी खबर नहीं है जो दफ्तर की कारों का उपयोग करते हैं। अब से पदाधिकारियों द्वारा ऑफिस कार के इस्तेमाल पर नजर रखी जाएगी।