लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की दिल्ली में हार के बावजूद पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष शीला दीक्षित का कद बढ़ गया है। कांग्रेस ने आगामी विधानसभा चुनावों के लिए पर्यवेक्षक की जिम्मेदारी शीला दीक्षित को दी है। जिसके तहत दिल्ली में सभी जिलों और वार्ड की पर्यवेक्षक की जिम्मेदारी शीला की ही होगी।

आज ही शीला की कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ मुलाकात हुई और उसके तुरंत बाद कांग्रेस ने ये आदेश लागू कर दिया है। ये फैसला शीला के विरोधियों के लिए बड़ा झटका है। लोकसभा चुनावों में कांग्रेस का आम आदमी पार्टी के साथ चुनावी गठबंधन नहीं हो पाया था। इसके पीछे कांग्रेस के नेता शीला दीक्षित को ही मानते हैं।

जबकि आप दिल्ली में कांग्रेस से गठजोड़ के लिए काफी प्रयास करती रही लेकिन पार्टी ने आप के साथ कोई चुनावी समझौता नहीं किया। इस मामले में शीला के सामने दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी पीसी चाको की भी एक नहीं चली। जिसके बाद कई नेताओं ने लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद शीला को दोष देना शुरू कर दिया था।

गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव से पहले अजय माकन को दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष के पद से हटा दिया गया था और शीला दीक्षित को नया अध्यक्ष बनाया गया था। शीला के साथ ही चार कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किए गए थे। लेकिन पार्टी को इसका कोई फायदा लोकसभा चुनाव में नहीं मिला।

लोकसभा चुनाव में दिल्ली में कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत पायी थी। फिलहाल अब लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद शीला दीक्षित को दिल्ली के 14 जिलों का कांग्रेस कमेटी पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया है। इसके साथ ही राज्य के 280 वार्ड का भी पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया है। यानी विधानसभा चुनाव के दौरान प्रत्याशियों को टिकट देने का फैसला एक तरह से शीला दीक्षित ही करेंगी।

गौरतलब है कि 28 जून को कांग्रेस ने दिल्ली में सभी जिले और ब्लॉक कमेटियों को भंग कर दिया था। पार्टी ने ये कदम लोकसभा चुनाव में हार के बाद लिया था। फिलहाल आज ही शीला दीक्षित की कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात हुई और उसके बाद कांग्रेस ने उन्हें पर्यवेक्षक नियुक्त करने का फैसला किया।