दिल्ली में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) के बीच गठबंधन की सियासी खिचड़ी का जायका बनने से पहले भी बिगड़ गया। तमाम कोशिशों के बावजूद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कांग्रेस को गठबंधन पर राजी नहीं कर सके। इसके बाद उन्होंने स्थिति साफ करते हुए कहा कि पार्टी दिल्ली की सातों सीटों पर अकेले लड़ेगी। 

दरअसल, दिल्ली में सीएम बनाम एलजी के अधिकारों की जंग पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर केजरीवाल मीडिया से मुखातिब थे। जब उनसे पूछा गया कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से सीटों के बंटवारे को लेकर कितनी सहमति बनी है? तो केजरीवाल ने कहा कि अभी उस दिशा में कोई सहमति नहीं है। कांग्रेस ने लगभग मना कर दिया है। 

एक दिन पहले दिल्ली में शरद पवार के घर हुई विपक्षी दलों की बैठक में अरविंद केजरीवाल और राहुल गांधी पहुंचे थे। कयास लगाए जा रहे थे कि कांग्रेस और आप दिल्ली व पंजाब में गठबंधन कर सकते हैं। सूत्रों के अनुसार, आप नेताओं को लग रहा था कि कांग्रेस से गठबंधन हुआ तो दोनों राज्यों में उससे फायदा हो सकता है। 

बृहस्पतिवार को केजरीवाल से पूछा गया कि आप गठबंधन को लेकर काफी लालायित दिख रहे हैं तो उनका जवाब था, 'हमारे मन में देश के लिए बहुत ज्यादा चिंता है। हम देश की परिस्थितियों को देख रहे हैं कि किस तरह से 5 साल में भाईचारा खराब किया गया। नोटबंदी जैसे गलत फैसले लिए गए। भीड़ हिंसा बढ़ने के साथ ही संस्थानों को बर्बाद किया जा रहा है, इसी वजह से हम लालायित हैं। उन्होंने लगभग मना कर दिया है।' 

उन्होंने कहा कि पूरा देश चाहता है कि मोदी और शाह की जोड़ी को हराया जाए और इसलिए जरूरी है कि भाजपा के खिलाफ एक ही उम्मीदवार खड़ा किया जाए, जिससे वोट न बंटे। अगर दिल्ली में भाजपा के खिलाफ 2 उम्मीदवार खड़े होते हैं और इससे भाजपा को ही फायदा होगा। 

उन्होंने कहा कि अब दिल्ली के लोगों के हाथ में चाबी है। 'मेरी दिल्ली के लोगों से हाथ जोड़कर विनती है कि इस लोकसभा चुनाव में आप पीएम बनाने के लिए वोट मत करना।' उन्होंने दिल्ली की सातों सीटों पर आप को वोट देने की अपील की। साथ ही कहा कि हम संसद के अंदर सबको बाध्य कर देंगे कि दिल्ली का पूर्ण राज्य का दर्जा मिल जाए।

हालांकि कांग्रेस के साथ गठबंधन की कोशिशों को लेकर केजरीवाल पुराने साथियों के निशाने पर आ गए। उनके करीबी रहे कुमार विश्वास और कपिल मिश्रा ने केजरीवाल पर जमकर तंज कसे हैं।