भोपाल। राज्य  में  24 सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए अभी तारीखों का ऐलान नहीं हुआ है। लेकिन सत्ताधारी भाजपा और कांग्रेस ने अभी से सियासी बिसात बिछाना शुरू कर दिया है। कांग्रेस राज्य में भाजपा चक्रव्यूह तैयार कर रही है ताकि  24 सीटों पर जीत हासिल किया जा सके। राज्य में सत्ता में वापसी के लिए कांग्रेस के पास एक मात्र विकल्प उपचुनाव को जीतना है।  अगर कांग्रेस ने उपचुनाव में अच्छा प्रदर्शन किया तो ये उसके लिए संजीवनी होगी।

राज्य में होने वाले उपचुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी ने प्रभारियों ऐलान कर दिया है। भाजपा राज्य की सभी 24 सीटों को जीतने की रणनीति के तहत काम कर रही है। वहीं राज्य में कांग्रेस भी पीछे नहीं है। कांग्रेस खासतौर से सिंधिया के गढ़ में पार्टी को मजबूत कर रही है। इसी के तहत पिछले दिनों कांग्रेस ने सिंधिया के गढ़ में नए जिलाध्यक्षों की नियुक्ति जातिगत आधार पर की। कांग्रेस को लगता है कि अगर उसने सिंधिया के गढ़ में भाजपा को मात दी तो इसके दूरगामी परिणाम होंगे।  फिलहाल कांग्रेस भाजपा के लिए चक्रव्यूह तैयार कर रही है। ताकि हर सीट पर भाजपा की राह मुश्किल बनाई जाए।

फिलहाल कांग्रेस के साथ ही उपचुनाव राज्य  के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के लिए प्रतिष्ठा का विषय बने हुए हैं। कांग्रेस जातिगत समीकरणों को देखते हुए रणनीति तैयार कर रही और इसी आधार पर प्रत्याशियों को टिकट दिए जाएंगे। कांग्रेस ये अच्छी तरह से जानती है कि राज्य की सत्ता में वापसी के लिए उपचुनाव ही आखिरी विकल्प है और सियासी चालबाजी में माहिर कमलनाथ शिवराज सिंह को पटखनी देकर फिर राज्य की सत्ता पर काबिज होना चाहते हैं।  पिछले दिनों कांग्रेस ने कभी ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता माधव राव सिंधिया के करीबी माने जाने वाले बालेंदु शुक्ला की कांग्रेस वापसी कराई। इसके जरिए कांग्रेस ने सिंधिया के गढ़ मे सेंध लगाने की कोशिश की वहीं राज्य के ब्राह्मणों को भी लुभाने की कोशिश की  है। कांग्रेस  को उम्मीद है कि शुक्ला के पार्टी में शामिल होने से कांग्रेस सिंधिया के गढ़ में फायदा होगा। 


कांग्रेस के लिए मुश्किल है राह

राज्य की 230 सदस्यीय विधानसभा में सरकार बनाने के लिए 116 विधायकों का समर्थन चाहिए। वहीं राज्य में कांग्रेस के पास 92 विधायक हैं। इस आधार पर कांग्रेस को सभी 24 सीटों पर जीत दर्ज करनी होगी। वहीं राज्य में भाजपा को बहुतम के लिए महज 9 विधायकों की जरूरत होगी। लिहाजा इस आधार पर कांग्रेस की सत्ता में वापसी की राह आसान नहीं है। राज्य  में वर्तमान में भाजपा के पास 107 विधायक हैं और वहीं तीन निर्दलीय सरकार को समर्थन दे रहे हैं।