(संयुक्त रिपोर्ट- सिद्धार्थ राय)

इससे पहले भी साल 2015 में जबरन घुसने और लोगों को डराने की साजिश के आरोपों पर कोर्ट ने संज्ञान लिया था। हालांकि इस मामले में सांसद के खिलाफ पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करने के निर्देश देने की मांग को कोर्ट ने पिछले साल ठुकरा दिया था। 

कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि मौजूदा मामला जबरन घुसने और धमकाने का है। सारे रिकॉर्ड को देखकर लगता है कि मौजूदा मामले में कही पर भी पुलिस से जांच कराए जाने की जरुरत नही है। यह कहते हुए कोर्ट ने शिकायतकर्ता जहरुल हसन की सांसद समेत सात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी की मांग को खारिज कर दिया था। 

लेकिन कोर्ट ने शिकायत में जो आरोप लगाए गए, उन पर संज्ञान लेते हुए शिकायतकर्ता को निर्देश दिया था कि वह परीक्षण के लिए अपने साक्ष्यों के साथ अगली तारीख पर मौजूद रहे। 

हसन ने अपनी शिकायत में कहा था कि वह अंजुमन ए हैदरी के वे मैनेजर है। यानी अलीगंज, जोरबाग के कर्बला में मौजूद वक्फ की संपत्तियों के ट्रस्टी और मुतवल्ली है। उनके मुताबिक यह शिया मुसलमानों के पवित्र धार्मिक स्थलों में से एक है। 

दिल्ली की महंगी जगहों में से एक जोरबाग में स्थित होने की वजह से सांसद समेत कुछ भूमाफियाओं की इस पर नजर है। आरोप लगाया कि अहमद पटेल ने अपने प्रभाव से सरकार और पुलिस का गलत इस्तेमाल किया और तमाम अपराध किये। 

शिकायतकर्ता के मुताबिक उस दिन दोपहर की मजलिस के समय कुछ लोग भारी पुलिस बल और स्थानीये लोगों के साथ कर्बला के बाहर जमा हो गए और भड़काऊ भाषण देते हुए कुछ लोग जबरन अंदर घुस गए और वहां के समान आदि को नुकसान पहुचाया।

 हसन का यह भी आरोप था कि हमला करने वालो ने खुद बताया कि यह हमला कांग्रेस सांसद के कहने पर किया गया है। यदि वह नर्सरी के खिलाफ केस वापस लेते है तो ये हमले रोक दिए जाएंगे। 

अदालत का नोटिस चस्पां करने गए लोगों के साथ मारपीट की गई। देखिए वीडियो-

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हालांकि हसन के मुताबिक स्थानीय पुलिस से कई बार इसकी शिकायत की गई, लेकिन वक्फ भू माफियाओं के प्रभाव में होने के चलते कोई कानूनी कार्रवाई नही की जा रही है। आरोप लगाया कि पटेल के मार्गदर्शन में भू माफियाओं ने साजिश के तहत अपराधों को अंजाम दिया। यह भी आरोप है कि वे इस हद तक पहुंच गए कि उन्होंने राष्ट्रीय ध्वज तक का गलत इस्तेमाल किया।