राज्य के दस पंचायती राज संस्थाओं में कराए गए चुनाव के परिणाम उन्नीस दिन पुरानी कांग्रेस सरकार के लिए बड़ा झटका माना जा रहे हैं। इन चुनाव में भाजपा ने दस से छह सीटों पर जीत दर्ज की है। जबकि कांग्रेस को महज चार सीटों पर जीत मिली है। ऐसा माना जा रहा है कि राज्य में खाद संकट के कारण जनता ने कांग्रेस सरकार के खिलाफ वोट दिया है।

राज्य विधानसभा चुनाव से पहले कुछ पंचायतीराज संस्थाओं के चुनाव को स्थगित कर दिया गया था। राज्य के आठ जिलों की 10 सीटों पर चुनाव हुए थे और इसमें से छह सीटों पर भाजपा जीत दर्ज की है। जबकि राज्य में कांग्रेस की सरकार बने महज 19 दिन ही हुए हैं। ऐसे में ये राज्य की गहलोत सरकार के लिए चेतावनी संदेश है। हालांकि इन चुनावों का राज्य सरकार पर कोई असर नहीं होगा। लेकिन पंचायती राज्य निकायों के चुनावों में अकसर सत्ताधारी दल ही जीत दर्ज करता है।

कांग्रेस ने इन चुनावों में महज चार सीटों पर जीत दर्ज की है। इन 10 सीटों पर 28 दिसंबर को मतदान हुआ था। सबसे दिलचस्प ये है कि 10 सीटों पर पहले 6 पर कांग्रेस, 3 पर भाजपा एवं एक पर निर्दलीय का कब्जा था। लेकिन राज्य में कांग्रेस की सरकार बनते ही यह आंकड़ा बदल गया। इन पंचायत चुनाव में भाजपा को तीन सीटों का फायदा और कांग्रेस को दो सीटों को नुकसान हुआ है। वहीं भाजपा ने अलवर जिला परिषद की एकमात्र सीट और पंचायत समिति की 5 सीटों पर जीत हासिल की। जबकि कांग्रेस को चार सीटों पर संतोष करना पड़ा।  

इसी तरह भीलवाड़ा की मांडलगढ़, चूरू की बीदासर, दौसा की लवाण, नागौर की मेड़ता एवं पाली की जैतारण पंचायत समिति की एक-एक सीटों पर हुए चुनाव में भाजपा ने जीत हासिल की। इसमें बीदासर, मेड़ता एवं जैतारण कांग्रेस से और लवाण सीट निर्दलीय से भाजपा ने छीनी है। कांग्रेस ने धौलपुर की बाड़ी पंचायत समिति की तीनों सीटें जीती। यह पहले भी कांग्रेस के पास ही थी। लाडपुरा सीट कांग्रेस ने भाजपा से छीनी है। उधर भाजपा नेता वसुंधरा राजे ने इन चुनाव परिणामों को राज्य की कांग्रेस सरकार के खिलाफ बताया है। उन्होंने कहा कि किसान यूरिया की मांग कर रहे हैं और कांग्रेस सरकार लाठीचार्ज कर रही है जबकि केंद्र पर्याप्त यूरिया दे रही है।