कांग्रेसी नेता दिल्ली में बड़े नेताओं की परिक्रमा करने के लिए दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं। ताकि मंत्रिमंडल में जगह मिलने के साथ ही अच्छा और मलाईदार विभाग मिल सके। हालांकि इन नेताओं के दिल्ली में डेरा डाले जाने से आलाकमान भी परेशान है। क्योंकि हर किसी को मंत्री नहीं किया जा सकता है। कुछ नेता तो ऐसे भी हैं जिनका मंत्री बनना तो तय है लेकिन अच्छे विभाग के लिए वह आलाकमान पर दबाव बनाने के लिए परिक्रमा कर रहे हैं।
तीन राज्यों में सरकार बनने के बाद अब मंत्री बनने के लिए कांग्रेसी नेता दिल्ली में बड़े नेताओं की परिक्रमा करने के लिए दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं। ताकि मंत्रिमंडल में जगह मिलने के साथ ही अच्छा और मलाईदार विभाग मिल सके। हालांकि इन नेताओं के दिल्ली में डेरा डाले जाने से आलाकमान भी परेशान है। क्योंकि हर किसी को मंत्री नहीं किया जा सकता है। कुछ नेता तो ऐसे भी हैं जिनका मंत्री बनना तो तय है लेकिन अच्छे विभाग के लिए वह आलाकमान पर दबाव बनाने के लिए परिक्रमा कर रहे हैं।
मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में सरकार बनने के बाद कांग्रेसियों का जोश चरम पर है। इन तीन राज्यों में मुख्यमंत्रियों ने शपथ तो ले ली है। लेकिन अभी तक मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं किया है। लिहाजा राज्य के विधायक अपने आकाओं पर राज्य के मंत्रिमंडल पर शामिल करवाने के लिए दबाव बनाए हुए हैं। हालांकि जिन विधायकों का मंत्री पद तय है, वह मलाईदार विभाग के लिए डटे हुए हैं। इस क्रम में कुछ विधायकों ने सोनिया गांधी, गुलामनवी आजाद और अहमद पटेल जैसे वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात की है। सोनिया गांधी से कुछ विधायक संसद भवन में मिले हैं।
मध्य प्रदेश से आने वाली विधायक विजयलक्ष्मी साधो ने वरिष्ठ नेताओं से आग्रह किया है कि उन्हें विधानसभा अध्यक्ष नहीं मंत्री बनाया जाए। दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह भी दिल्ली आ गए हैं। उनको लेकर पार्टी दुविधा में है क्योंकि उनके चाचा लक्ष्मण सिंह को भी मंत्री बनाना है। ऐसे में एक ही परिवार से दो लोगों को मंत्रिमंडल में शामिल करना मुश्किल होगा। वरिष्ठ नेता स्व. अर्जुन सिंह के बेटे अजय सिंह भी महत्व का पद लेने के लिए दिल्ली में जमे हुए हैं। अजय सिंह विधानसभा का चुनाव हार गए थे।
लेकिन आगामी लोकसभा चुनाव में पार्टी वहां अच्छा प्रदर्शन करेष इसलिए इस क्षेत्र से उन्हें लिया जाना जरूरी है। राज्य के विंध्य क्षेत्र में कांग्रेस को सबसे कम सीटें मिली हैं। यहां पर कांग्रेस को 6 सीटें मिली हैं। जबकि 2013 के चुनाव में उसे 12 सीटें मिली थीं। लिहाजा मुख्यमंत्री कमलनाथ इस इलाके में ईवीएम की फारेंसिक जांच कराने का फैसला कर चुके हैं। सीएम कमलनाथ पर उन्हें बड़ी जिम्मेदारी देने का दबाव है। इसी लाइन में पूर्व अध्यक्ष अरुण यादव भी लगे हैं और दिल्ली में वरिष्ठ नेताओं से सिफारिश करा रहे हैं।
वहीं राजस्थान में बगावत को रोकने के लिए डिप्टी सीएम बनाए गए सचिन पायलट अच्छे विभागों के साथ ही ज्यादा से ज्यादा अपने समर्थकों को मंत्री बनवाने के लिए दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं। कुछ ऐसा ही हाल छत्तीसगढ़ का भी है वहां के विधायक अमितेश शुक्ला, धनेंद्र साहू, मनोज मंडावी और दीपक कुमार बैज और कुलदीप जुनैजा भी दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं।
Last Updated Dec 20, 2018, 3:27 PM IST