कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की दोहरी नागरिकता का मामला एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। शीर्ष अदालत अगले सप्ताह इस पर सुनवाई करेगी। 

सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि गृह मंत्रालय को इस बारे में जो शिकायत मिली है, उस पर जल्द कार्रवाई की जाए। कांग्रेस अध्यक्ष को चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य करार दिया जाए। याचिका में राहुल गांधी का नाम मतदाता सूची से हटाने की भी मांग की गई है। 

यूनाइटेड हिंदू फ्रंट के जयभगवान गोयल और हिंदू महासभा के चंद्रप्रकाश कौशिक ने सुप्रीम कोर्ट में राहुल गांधी की दोहरी नागरिकता को लेकर याचिका दायर की है। हालांकि, साल 2015 में सुप्रीम कोर्ट राहुल गांधी की नागरिकता की सीबीआई जांच की मांग को ठुकरा चुका है। 

तत्कालीन चीफ जस्टिस एचएल दत्तू ने वकील एमएल शर्मा की ओर से दायर याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि जनहित याचिका को किसी व्यक्ति/ संस्थान को निशाना बनाने के मकसद से लाया गया था।

पिछले दिनों केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दोहरी नागरिकता पर राहुल गांधी को नोटिस जारी किया था। उन्हें जवाब देने के लिए 15 दिन का समय दिया गया है। गृह मंत्रालय ने यह नोटिस भाजपा सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी की शिकायत पर जारी किया है। 

राहुल गांधी को नोटिस गृह मंत्रालय के निदेशक (नागरिकता) बीसी जोशी ने जारी किया है। जिसमें लिखा गया है कि 'गृह मंत्रालय को डॉ सुब्रह्मण्यम स्वामी की ओर से एक शिकायत मिली है, जिसमें जानकारी दी गई है कि बैकऑप्स लिमिटेड नामक कंपनी को वर्ष 2003 में यूनाइटेड किंगडम में रजिस्टर किया गया था, जिसका पता 51 साउथगेट स्ट्रीट, विंचेस्टर, हैम्पशर SO23 9EH था, और आप उसके निदेशकों में से एक तथा सचिव थे।'

इस नोटिस में यह भी लिखा गया है कि 'शिकायत में यह भी जानकारी दी गई है कि 10 अक्टूबर, 2005 तथा 31 अक्टूबर, 2006 को दाखिल की गई कंपनी की वार्षिक रिटर्न में आपकी जन्मतिथि 19 जून, 1970 बताई गई है और आपने अपनी नागरिकता ब्रिटिश बताई है।'

गृह मंत्रालय को मिली शिकायत के मुताबिक 17 फरवरी, 2009 को दी गई कंपनी की डिसॉल्यूशन अर्ज़ी में भी राहुल गांधी की नागरिकता ब्रिटिश बताई गई है। गृह मंत्रालय ने राहुल गांधी आग्रह किया है कि  'इस मामले में वास्तविक स्थिति से इस खत के मिलने के एक पखवाड़े के भीतर मंत्रालय को अवगत कराएं।'