लोकसभा चुनाव के लिए दिल्ली और हरियाणा में आम आदमी पार्टी का कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं होगा। अब दोनों पार्टियों ने अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है। अब तक उम्मीद लगाई आप चुनाव में कांग्रेस को घेरेगी। लेकिन आप और कांग्रेस के बीच चुनावी गठबंधन न होने की स्थिति में सबसे बड़ा फायदा बीजेपी को होगा।

आप कई महीनों से कांग्रेस के साथ दिल्ली, हरियाणा और पंजाब में चुनावी गठबंधन करने के पक्ष में थी। इसके लिए पार्टी ने कई बार कांग्रेस के रणनीतिकारों से बातचीत भी की। लेकिन कांग्रेस की तरफ से कभी हां और कभी ना का दौर चलता रहा। कांग्रेस में भी इस गठबंधन को लेकर दो गुट हो गए थे। पहला गुट शीला दीक्षित का था जो इसके विरोध में थी जबकि दूसरा गुट अजय माकन और प्रदेश प्रभारी पीसी चाको का था।

जो इस गठबंधन के पक्ष में थे। लेकिन आप की शर्त ये थी कि कांग्रेस दिल्ली के साथ ही पंजाब और हरियाणा में भी चुनावी गठबंधन करे। लेकिन कांग्रेस सिर्फ दिल्ली में गठबंधन चाह रही थी। जिसको लेकर आप तैयार नहीं थी। आज आप के नेता और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह भ्रष्टाचार में लिप्त है। आप कांग्रेस के साथ मिलकर मोदी के खिलाफ लड़ाई लड़ना चाहती थी। लेकिन कांग्रेस ने साथ नहीं दिया। सिसोदिया ने कहा कि आप ने दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, गोवा में मिलकर चुनाव लड़ने की पहल की थी। लेकिन कांग्रेस ने उनकी मांग नहीं मानी। 

लेकिन अब तय हो गया है कि लोकसभा चुनाव में दोनों पार्टियां अलग अलग चुनाव लड़ेगी। आम आदमी पार्टी हरियाणा में भी कांग्रेस से गठबंधन करना चाहती है जबकि कांग्रेस ने राज्य में आप को कोई सीट नहीं देगी। लिहाजा इससे नाराज अब आप ने अकेले लड़ने का फैसला किया है। हालांकि इससे पहले ऐसा लग रहा था कि दोनों पार्टियों के बीच में गठबंधन हो जाएगा। आप ने गठबंधन की संभावनाओं को देखते हुए अपने तीन उम्मीदवारों के शनिवार को होने वाले नामांकन को स्थगित कर दिया था।

लेकिन अब गठबंधन न बनने के बाद आप के छह उम्मीदवारों का नामांकन सोमवार को होगा। असल में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच गठबंधन को लेकर कई महीनों से पार्टी और कार्यकर्ता असमंजस की स्थिति में थे। हालांकि जब गठबंधन की स्थिति बनी तो आप ने हरियाणा और पंजाब में भी गठबंधन की शर्त रख दी। दिल्ली में लोकसभा की सात सीटें हैं और यहां 12 मई मतदान होगा।