नई दिल्ली: शीला दीक्षित दिल्ली की 3 बार मुख्यमंत्री, केरल की पूर्व राज्यपाल जैसे पदों को सुशोभित कर चुकी थीं। उन्होंने शनिवार को दोपहर 3.30 बजे आखिरी सांस ली। वह यूपी में कांग्रेस के मुख्यमंत्री पद की दावेदार रह चुकी हैं और दिल्ली में इस बार लोकसभा चुनाव भी लड़ा था। फिलहाल वह दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के पद पर थीं। 

शीला दीक्षित लंबे समय से बीमार चल रही थीं। ​वे दिल्ली में मुख्यमंत्री पद पर बैठने वाली दूसरी महिला थीं। 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांगेस पार्टी की मुख्यमंत्री पद लिए उम्मीदवार घोषित की गई थीं। उनसे पहले सुषमा स्वराज दिल्ली की मुख्यमंत्री बनने वाली पहली महिला थीं। पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने उनके निधन की खबर सुनते ही शोक जताया। 

 दिल्ली के एस्कॉर्ट्स अस्पताल में अंतिम सांसें लेने वाली शीला दीक्षित का जन्म 31 मार्च 1938 को पंजाब के कपूरथला में हुआ था। वे इसी साल हुए लोकसभा चुनाव में उत्‍तर-पूर्व दिल्‍ली से लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ीं थीं. हालांकि, उन्हें भाजपा के मनोज तिवारी ने हरा दिया था। दिल्ली भाजपा अध्यक्ष ने अपनी वयोवृद्ध प्रतिद्वंदी के निधन की खबर सुनकर उन्हें श्रद्धांजलि दी। 


 शीला दीक्षित निधन से पहले तक वह राजनीति में बेहद सक्रिय भूमिका निभा रही थीं। हाल ही में उन्होंने दिल्ली के कुछ जिलों में नए जिलाध्यक्षों की नियुक्ति भी की थी।  उन्हें गांधी परिवार का करीबी माना जाता था। उनके निधन को कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने निजी क्षति बताया है। 

शीला दीक्षित के पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार रविवार को 2:30 निगम बोध घाट पर किया जाएगा। उनका शरीर फिलहाल निजामुद्दीन स्थिति घर पर अंतिम दर्शन के लिए रखा गया है। 
राहुल गांधी ने उनके निधन पर अपूरणीय शोक व्यक्त किया है। 

शीला दीक्षित का भारतीय राजनीति में बेहद सम्मान था। दिल्ली की मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने दिल्ली मेट्रो, सड़क, फ्लाईओवर जैसे कई उल्लेखनीय कार्यों को संपन्न कराया था। उन्हें राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री दोनों ने अंतिम विदाई दी है। 

 

बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने भी दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की है।

दिल्ली प्रदेश कांग्रेस ने अपनी अध्यक्ष के निधन के बाद भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की है।